मालूम हो कि दहशहरा के दिन राज परिवारो में शस्त्र पूंजन की परम्परा है उसके बाद राजा दरिबारियों द्वारा संकेतिक रूप लगान दिया जाता है। यह कार्यक्रम राजशाही परम्परा की याद ताजा करा देती है। आज इस परम्परा को पुनः चरितार्थ किया गया। दिन में दो बजे राजा अवनींद्र दत्त दुबे अपने हवेली में सिंहासन पर आसिन हुए। ब्राहमणो ने पहले वैदिक मंत्रोचारण के साथ शस्त्र पूंजन कराया। उसके बाद दरबारियों ने कतारबध्द होकर लगान दिया। यह दृश्य देखने के लिए शहर के भारी संख्या में लोग पहुंचे थे। पिछले कई वर्षो से चली आज जौनपुर राज दरबार की परम्परा आज टूट गया। दहशहरा के मौके पर राजा जौनपुर की दरबार में राजा के अलावा पांच अन्य दरबारियों को कुर्शी दी गयी। हलांकि ये लोग परम्परागत दरबारी नही थे।
इसके पहले शस्त्र पूंजन के समय लगने वाले राजा की दरबार में केवल राजा ही सिंहासन पर आसीन होते थे बाकी सभी दरबारी जमीन पर बैठते थे। इतना ही कार्यक्रम समाप्त होने के बाद फोटो खिचवाने के लिए दरबार बैठे रहे राजा सिंहासन से उठकर पोज दिया। यह दृश्य देखकर सभी आश्चर्य चकित हो गये।
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