रिवर सईं |
हमारे जौनपुर जिला मुख्यालय से ५० किलोमीटर दूर एक बाज़ार है नाम है सुजानगंज इसी बाज़ार के पास से ही प्राचीन नदी "सई" गुजरती है जो कि पूरे क्षेत्र के लिए वरदान से कम नहीं है ,लेकिन वह वरदान अब अभिशाप होने जा रहा है .पूरी की पूरी नदी का पानी काला पड़ गया है .इंसानों की बात तो दूर जानवर भी आस-पास नहीं फटकते .मछलियाँ ही नहीं , नदी में कोई भी जलीय जीव नहीं दिखाई पड़ता है| यह नदी काफी प्राचीन है इसका उल्लेख गोस्वामी तुलसी दास जी नें अपने श्री राम चरित मानस में भी किया है ,जब भरत जी चित्रकूट से वापस आ रहे थे -
सई उतरि गोमती नहाए ,चौथे दिवस अवधपुर आये |
जनकु रहे पुर बासर चारी ,राज काज सब साज सम्भारी ||
(अयोध्या कांड, दोहा संख्या ३२१)
ये नदियाँ हमारी जिंदगानी हैं ,इनके बगैर हमारा भी कोई अस्तित्व न रहेगा .कौन हरेगा सई की पीडा को ? क्या इस दौर में फिर कोई भागीरथ पैदा होगा ? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो कि मुझे कल से ही बेचैन किये हैं . गंगा के लिए तो आवाज़ उठाने वाले कई हैं ,इन नदियों के लिए आवाज़ कौन उठाएगा ?
साभार ..... डॉ मनोज मिश्रा

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