इसके बारे मे मशहूर है की अयोध्या के राजा राम चंद्र जी के काल मे यहा करार बीर नामक दुष्ट रहता था जो आने जाने वाले यात्रियो को कष्ट पहुचाता था | राजा राम चंद्र को जब पता लगा तो यहा आ के उसकी हत्या कर दी और लोगो को कष्ट से मुक्ती दिल्वाई | सन ११६८ ईसवी मे राजा विजय चंद्र ने करार बीर का मंदिर बनवाया | लेकिन राजा विजय चंद्र ने करार बीर का मंदिर बनवाया इस संबंध मे मतभेद है |
गुरुनानक जयंती के एक दिन बाद दो दिन दैत्य केरार बीर व किला मरीन जो करार बीर दैत्य की बहन है दोनों लोगो का पूजन व यज्ञ बहुत भव्य होता है लोग दूर-दूर से अपना मनोकामना पूर्ण कर उनका दर्शन व उन्हें हलुवा पुड़ी चढाते है जैसे जिसने माना हो वो उस प्रकार से चढावा चढ़ता है इनको ज्यादा मुर्गा ,खसी व दारू दोनों लोगो को चढ़ता है यही उनको पसंद है इनके यहा जो सच्चे दिल से मांगता है उनकी मुराद अवस्य पूर्ण होता है क्यू की इनपे प्रभु श्री राम की कृपा है जा प्रभु ने दैत्य केरार बीर का वध किया तो उन्हों ने आशिर्वाद दिया की तुम्हे मेरे नाम से नहीं बल्कि लोग तुम्हे तुम्हारे नाम से ही पूजें गे इस लिए इस मन्दिर का नाम केरार बीर पड़ा|
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