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    शुक्रवार, 15 अगस्त 2014

    कजगांव का ऐतिहासिक कजरी मेला |

    जफराबाद क्षेत्र के कजगांव (टेढ़वां बाजार) की ऐतिहासिक कजरी जो क्षेत्रीय बुजुर्गां के अनुसार लगभग 85 वर्षों से लगती चली आ रही है जिसमें टेढ़वां के लोग राजेपुर गांव में शादी करने का दावा पेश करते हैं और राजेपुर गांव के लोग टेढ़वां में शादी करने का सपना संजोकर बारात लेकर आते हैं। बाजार के अन्त में दोनों गांव के बीच स्थित पोखरे पर राजेपुर की बारात पूर्वी छोर और कजगांव की बारात पश्चिमी छोर पर बाराती, हाथी, घोड़ा, ऊंट तथा दूल्हे के साथ द्वार पूजा के लिये खड़ी हो जाती है। एक-दूसरे पर दोनों तरफ से मनोविनोदी आवाज में जोर-जोर बाराती और कभी-कभी दूल्हा भी चिल्लाने लगता है कि दूल्हन दे दो, हम लेकर जायेंगे। यह क्रम घण्टों चलता है। यदि बीच में पोखरा न हो तो शायद आपस में भिड़ंत भी हो सकती है लेकिन 85 वर्षों में कभी भी ऐसी कोई बात नहीं हुई।


    महीनों पहले से जहां एक गांव के नागरिक दूसरे गांव के लोगां से मजाक शुरू कर देते हैं, वहीं कजरी मेला समाप्त होने के बाद मजाक एक वर्ष के लिये बंद होकर अगले वर्ष तक के लिये समाप्त सा रहता है। मेला में जहां एक ओर दोनों गांव के बाराती एक-दूसरे से मजकिया लहजे में जोर-जोर से वार्ता करते हैं, वहीं दूसरी ओर गांव ही नहीं, जिले के विभिन्न क्षेत्रों से आये लोग इस काल्पनिक बारात में शामिल होकर मेला का आनन्द लेते हैं जहां खाद्य पदार्थों के अलावा घरेलू सामानों की जमकर खरीददारी भी की जाती है।


        मेले में सुरक्षा की दृष्टि से भारी संख्या में पीएसी व पुलिस के जवानों के अलावा तमाम थानाध्यक्ष भी डटे रहे तथा सिविल डेªस में भी पुलिसकर्मी चक्रमण करते नजर आये। कुल मिलाकर यह मेला पूरी तरह आपसी सौहार्द एवं परम्परागत ढंग से सम्पन्न हो गया और दोनों तरफ के दूल्हे इस वर्ष भी शादी न करने में असफल रहने का मलाल लेकर बगैर दूल्हन अगले वर्ष की आस लिये लौट गये।


    लगभग 85 वर्षों का इतिहास संजोये जफराबाद क्षेत्र के कजगांव (टेढ़वां बाजार) स्थित पोखरे पर राजेपुर और कजगांव की ऐतिहासिक बारातें आयीं जिसमें हाथी, घोड़े, ऊंट पर सवार बैण्ड-बाजे की धुन पर बाराती घण्टों जमकर थिरके|

     इस वर्ष रोमांच रोमांश और अश्लीलता से भरपूर कजगांव का कजरी मेला आज सम्पन्न हो गया। इस ऐतिहासिक मेले में परम्परा के अनुसार दोनो गांव से करीब एक दर्जन से अधिक दुल्हे हाथी घोड़े पर सवार होकर मेला स्थल पर पहुंचकर एक दूसरे से लड़की विदा करनें का इशारा किया लेकिन इस बार भी दूल्हे बगैर दुल्हन के ही लौट गये।

    जौनपुर जिले के सिरकोनी ब्लाक के कजगांव और राजेपुर गांव के बीच लगने वाले इस मेले का जौनपुर समेत आसपास के जिले के लोगो को पूरे वर्ष इंतजार रहता है। भादो माह के छठवे दिन इलाके में भारी जन सैलाब उमड़ पड़ता है। कजगांव से हाथी घोड़े पर सवार होकर करीब आधा दर्जन दूल्हे बैण्ड बाजे के साथ तालाब किनारे पहुंचते हैं इतने ही दुल्हे राजेपुर गांव से आते हैं। दोनो तरफ से एक दूसरे से दुल्हन विदा करने का इशारा करते हैं। इसी बीच दोनो तरफ अश्लील हरकते होती है लेकिन कोई बुरा नही मानता। इस नजारे का लुत्फ उठाने के लिए हजारों लोगों उपस्थित होते हैं।
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    Item Reviewed: कजगांव का ऐतिहासिक कजरी मेला | Rating: 5 Reviewed By: S.M.Masoom
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