अपनें जौनपुर जनपद के निवासियों नें प्रदेश सरकार/जिला प्रशासन के आदेश के अनुपालन में (कुछ छापेमारी के भयवश तो कुछ सुनहरे कल की उम्मीद में ) माह जून -जुलाई में नया विद्युत कनेक्शन लेने /विद्युत भार बढ़वानें और कटियामार कनेक्शन को वैध करने की मुहिम में बढ़ -चढ़ कर हिस्सा लिए ---सोचा कि अब जौनपुर में बिजली को लेकर एक नई सुबह आने को है। अभियान में करोड़ो रूपये राजस्व की प्राप्ति सरकार को हुई ,कई दशकों बाद लोग बाग़ इस दिशा में जागरूक और सक्रिय दिखे। अभियान समाप्त भी नही हुआ था कि सपना चूर हो गया। शहर वाले तो बेचारे ही बन गए और गावं की हालत यह है की बच्चो के चिल्लाने और ताली बजाने से समझ में आता है की बिजली आ गई ताली पूरी भी नहीं होती की बिजली गई की आह भी सुनायी पड़नें लग जाती है। समाचार पत्रों से पता चलता है की गावों को १० घंटे बिजली मिलेगी पर पिछले महीने से ही आज - -तक यहाँ गांवों में घंटे भर भी बिजली मिल जाय तो अहो भाग्य। धरती पुत्र --हमारे अन्नदाताओं का कष्ट देखा नही जा रहा ,धान की फसल सूखनें के कगार पर है --क्या करें -कैसे करें समझ नही पा रहे। व्यवसायी भाई धंधा नहीं कर पा रहे ,विधार्थी भयंकर उमस में पढ़ नही पा रहे।
मध्य कालीन भारतीय समाज का एक दृश्य मन -मस्तिष्क में कौंध रहा है --------
खेती न किसान को, भिखारी को न भीख,बलि,
वनिक को बनिज न, चाकर को चाकरी।
जीविका विहीन लोग, सीद्यमान सोच बस,
कहं एक एकन सों, कहां जाई,का करी।।
. है कोई इस पुकार को सुनने वाला।
लेखन --- डॉ मनोज मिश्र
मध्य कालीन भारतीय समाज का एक दृश्य मन -मस्तिष्क में कौंध रहा है --------
खेती न किसान को, भिखारी को न भीख,बलि,
वनिक को बनिज न, चाकर को चाकरी।
जीविका विहीन लोग, सीद्यमान सोच बस,
कहं एक एकन सों, कहां जाई,का करी।।
. है कोई इस पुकार को सुनने वाला।
लेखन --- डॉ मनोज मिश्र
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें
हमारा जौनपुर में आपके सुझाव का स्वागत है | सुझाव दे के अपने वतन जौनपुर को विश्वपटल पे उसका सही स्थान दिलाने में हमारी मदद करें |
संचालक
एस एम् मासूम