अन्याय पे न्याय और असत्य पे सत्य की विजय का पर्व दशहरा हर वर्ष बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है | इस वर्ष भी जौनपुर में बुराई पर अच्छाई की विजय का पर्व विजयादशमी पूरे उत्साह और
धूमधाम से मनाया गया। जगह-जगह रावण दहन के कार्यक्रम आयोजित किए गए। लोगों
ने एक-दूसरे को शमी की पत्तियां देकर विजयादशमी की शुभकामनाएं दीं।
कहीं-कहीं रामलीला के आयोजन भी हुए।
रावण के पुतले का दहनभी किया गया। सबसे पहले राजा साहेब के पोखरे पर राजा जौनपुर अवनींद्र दत्त दूबे नें लकाधीश दशकंधर के पुतले को जलाया। उसके बाद नगर के रामलीला समिति हुसेनाबाद द्वारा जेसीज चौराहे पर लगाये गये रावण के पुतले का दहन किया गया उस समय वहां मौजूद लोग श्री राम के जयकारे लगाये।
इसके पूर्व हुसेनाबाद से राम लक्ष्मण अपनी भारी सेना
के साथ रावण से घोर युद्व करते रहे चल रहे थे और जेसीज चैराहे पर पहुंचे
और रावण का दहन किया गया। इस अवसर पर श्री राम व रावण का युद्व देखने के
लिये हजारो कि संख्या मे लोग मौजूद रहे। इसी तरह वाजिदपुर तिराहे पर पर भी
रावण के पुतला जलाया गया। उधर राम नगर भड़सरा गांव में स्थित बड़े हनुमानजी
के मंदिर पर दशानन के प्रतिक को जलाकर बुराई पर अच्छाई की जीत का संकेत
दिया गया।
यू तो दुर्गा पूजा महोत्सव पूरे बंगाल का प्रसिद्ध है, लेकिन जौनपुर का दुर्गा पूजा महोत्सव की अपनी अलग पहचान बना चुका है। अपने दामन में गंगा जमुनी संस्कृति को समेटे हुए यहां के नौ दिन के नवरात्र पूजा के बाद मां की प्रतिमाओं को एक साथ नाचते गाते विर्सजित को निकल पड़ते है, और आदि गोमती में मां को विर्सजित कर विदा कर देते है।
नौ दिनों शहर के सौ से ज्यादा पूजा पण्डालों में मां दुर्गा की अराधना करने के बाद शुक्रवार की रात्रि भक्तगण जब सड़कों पर मां की प्रतिमाओं को विर्सजित करने निकल पड़े तो पूरे शहर में कही पैर रखने को जगह नही बची थी। हर तरफ वस मां शेरावाली के गीत व गानों पर थिरकते भक्तगण वस मां की जयकारा करते दिखें, ना उन्हे गुजरती रात की परवाह थी ना ही कोई गम था, वो अपना सब कुछ न्यौछावार करने को तैयार थे। इनमे सिर्फ ना ही हिन्दू बल्कि बड़ी संख्या में मुस्लिम भाई भी शामिल थे।
रावण के पुतले का दहनभी किया गया। सबसे पहले राजा साहेब के पोखरे पर राजा जौनपुर अवनींद्र दत्त दूबे नें लकाधीश दशकंधर के पुतले को जलाया। उसके बाद नगर के रामलीला समिति हुसेनाबाद द्वारा जेसीज चौराहे पर लगाये गये रावण के पुतले का दहन किया गया उस समय वहां मौजूद लोग श्री राम के जयकारे लगाये।
यू तो दुर्गा पूजा महोत्सव पूरे बंगाल का प्रसिद्ध है, लेकिन जौनपुर का दुर्गा पूजा महोत्सव की अपनी अलग पहचान बना चुका है। अपने दामन में गंगा जमुनी संस्कृति को समेटे हुए यहां के नौ दिन के नवरात्र पूजा के बाद मां की प्रतिमाओं को एक साथ नाचते गाते विर्सजित को निकल पड़ते है, और आदि गोमती में मां को विर्सजित कर विदा कर देते है।
नौ दिनों शहर के सौ से ज्यादा पूजा पण्डालों में मां दुर्गा की अराधना करने के बाद शुक्रवार की रात्रि भक्तगण जब सड़कों पर मां की प्रतिमाओं को विर्सजित करने निकल पड़े तो पूरे शहर में कही पैर रखने को जगह नही बची थी। हर तरफ वस मां शेरावाली के गीत व गानों पर थिरकते भक्तगण वस मां की जयकारा करते दिखें, ना उन्हे गुजरती रात की परवाह थी ना ही कोई गम था, वो अपना सब कुछ न्यौछावार करने को तैयार थे। इनमे सिर्फ ना ही हिन्दू बल्कि बड़ी संख्या में मुस्लिम भाई भी शामिल थे।
राजा जौनपुर का लगा दरबार इस वर्ष दशहरे में | |
happy dashahra.......
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