भारत के कैलाश सत्यार्थी और पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई को इस साल शांति का नोबेल पुरस्कार दिया गया है। कैलाश सत्यार्थी बचपन बचाओ आंदोलन के प्रणेता हैं।
अस्सी हजार से ज्यादा बच्चों की जिंदगी बदलने वाले कैलाश सत्यार्थी को पाकिस्तान की मलाला युसुफजई के साथ इस साल का नोबेल शांति पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। 11 जनवरी 1954 को जन्मे कैलाश सत्यार्थी को भोपाल गैस त्रासदी के राहत अभियान और बच्चों के लिए काम करने को लेकर दुनिया का ये सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार मिला है। पिछले दो दशकों से वे बालश्रम के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं और इस आंदोलन को वैश्विक स्तर पर ले जाने के लिए जाने जाते हैं।
कैलाश सत्यार्थी का जन्म: 11 जनवरी 1954 को विदिशा, मध्य प्रदेश में हुआ था। वे बचपन से ही दूसरों के प्रति बेहद सहयोगी रहे और हमेशा दूसरों की मदद करते रहे। जब वे 11 वर्ष के थे, तब उन्होंने महसूस किया कि बहुत से बच्चे किताबें न होने के कारण पढ़ाई से वंचित रह जाते हैं। इसलिए उन्होंने एक ठेला लेकर पास होने वाले बच्चों की किताबें एकत्रित कीं और उन्हें जरूरतमंदों तक पहुंचाई।
कैलाश सत्यार्थी भारत के शिशु अधिकार कार्यकर्ता एवं नोबेल पुरस्कार विजेता हैं। वे बाल श्रम के विरुद्ध भारतीय अभियान में १९९० के दशक से ही सक्रिय रहे हैं। उनके द्वारा संचालित संगठन का नाम है- बचपन बचाओ आन्दोलन। यह संगठन लगभग ८० हजार बाल श्रमिकों को मुक्त कराया है और उनके पुनर्वास एवं शिक्षा की व्यवस्था में सहायता की है। पेशे से इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर रहे कैलाश सत्यार्थी को समाज सेवा के साथ-साथ भोपाल गैस त्रासदी में राहत अभियान चलाने के लिए भी जाना जाता है। उन्हें 1994 में जर्मनी का 'द एयकनर इंटरनेशनल पीस अवॉर्ड', 1995 में अमरीका का 'रॉबर्ट एफ़ कैनेडी ह्यूमन राइट्स अवॉर्ड', 2007 में 'मेडल ऑफ़ इटेलियन सीनेट' और 2009 में अमरीका के 'डिफ़ेंडर्स ऑफ़ डेमोक्रेसी अवॉर्ड' सहित कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार मिलने की खबर ने सभी भारतीयों को गर्व से भर दिया है।
मलाला युसुफ़ज़ई के साथ सम्मिलित रूप से उन्हें २०१४ का शांति का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
कैलाश सत्यार्थी का जन्म: 11 जनवरी 1954 को विदिशा, मध्य प्रदेश में हुआ था। वे बचपन से ही दूसरों के प्रति बेहद सहयोगी रहे और हमेशा दूसरों की मदद करते रहे। जब वे 11 वर्ष के थे, तब उन्होंने महसूस किया कि बहुत से बच्चे किताबें न होने के कारण पढ़ाई से वंचित रह जाते हैं। इसलिए उन्होंने एक ठेला लेकर पास होने वाले बच्चों की किताबें एकत्रित कीं और उन्हें जरूरतमंदों तक पहुंचाई।
कैलाश सत्यार्थी भारत के शिशु अधिकार कार्यकर्ता एवं नोबेल पुरस्कार विजेता हैं। वे बाल श्रम के विरुद्ध भारतीय अभियान में १९९० के दशक से ही सक्रिय रहे हैं। उनके द्वारा संचालित संगठन का नाम है- बचपन बचाओ आन्दोलन। यह संगठन लगभग ८० हजार बाल श्रमिकों को मुक्त कराया है और उनके पुनर्वास एवं शिक्षा की व्यवस्था में सहायता की है। पेशे से इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर रहे कैलाश सत्यार्थी को समाज सेवा के साथ-साथ भोपाल गैस त्रासदी में राहत अभियान चलाने के लिए भी जाना जाता है। उन्हें 1994 में जर्मनी का 'द एयकनर इंटरनेशनल पीस अवॉर्ड', 1995 में अमरीका का 'रॉबर्ट एफ़ कैनेडी ह्यूमन राइट्स अवॉर्ड', 2007 में 'मेडल ऑफ़ इटेलियन सीनेट' और 2009 में अमरीका के 'डिफ़ेंडर्स ऑफ़ डेमोक्रेसी अवॉर्ड' सहित कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार मिलने की खबर ने सभी भारतीयों को गर्व से भर दिया है।
मलाला युसुफ़ज़ई के साथ सम्मिलित रूप से उन्हें २०१४ का शांति का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें
हमारा जौनपुर में आपके सुझाव का स्वागत है | सुझाव दे के अपने वतन जौनपुर को विश्वपटल पे उसका सही स्थान दिलाने में हमारी मदद करें |
संचालक
एस एम् मासूम