दन्त कथाओं में कहा जाता है कि इस भवन के अन्दर बीचो -बीच एक बहुत गहरा कुआँ हुआ करता था और भवन के गुम्बज के बीचो-बीच सोनें का एक घंटा बंधा था, जिसे निकालने के चक्कर में एक चोर मगरगोह की मदत से घंटे तक पहुच गया था लेकिन घंट का वजन मगर गोह नहीं सभाल सका और घंट समेत कुएं में जा गिरा था,कुएंको इसके बाद समाप्त कर दिया गया। इस भवन में नाप-जोख कर कुल बारह दरवाजे हैं शायद इसीलिये इसे बारादुअरिया कहा गया.दंतकथाओं में भूत-प्रेतों से जुडी इतनी कहानियाँ इस कारण लोग इस तरफ आनें से कतराते रहे ,यहाँ अब केवल सांपो और मगर गोह का ही राज है। इस बारे में फिर कभी विस्तृत रपट प्रस्तुत करूंगा अभी तो इसके ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य का अध्ययन मैंने शुरू ही किया है.जो भी हो लेकिन वास्तु कला का बेजोड़ नमूना यह भी है जिसका अवलोकन आप चित्रों में भी कर सकते हैं- '
(सभी चित्र -जावेद अहमद )
बारादुअरिया एक मोहल्ला है हमाम दरवाज़ा के पास. लेकिन यह वो नहीं दिख रहा. क्या इसके आस पास के इलाके के बारे मैं कोई जानकारी है?
जवाब देंहटाएंमासूम साहब आप सही हैं लेकिन इसके बारे में मेरे पास अभी कोई जानकारी नही है.
जवाब देंहटाएंrochak jankaari
जवाब देंहटाएंमें तो आपसे इसी तरह कि जानकारी कि उमीद करता हूँ. , जौनपुर में ईस तरह कि बहुत सी इमारते बेजान और बिना नाम के पड़ी हैं.
जवाब देंहटाएंbahut swadisht prastuti..
जवाब देंहटाएंsorry aapki post par mera kahna hai ki bahut gyanvardhak post...
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