जफराबाद। गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल बने हाजी बाबा का उर्स उर्दू महीने ईद -उल -अजहा(बकरीद) की नौ तारीख को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया गया। बाबा के इस उर्स में एक तरफ जहां मुस्लिम समुदाय बाबा की मजार पर माला फूल अगरबत्ती मुर्गा मलीदा चढ़ाकर नियाज फातिहा किया वहीं हिन्दू मतावलम्बियों द्वारा बाबा की मजार की कदमबोशी कर पुष्प और चादर भी अर्पित किया ।
उर्दू के इद-उल- अजहा महीने की नौ तारीख को लगने वाले इस विशाल मेले में देश व प्रांत के कोने -कोने से जायरीनों का जमावड़ा दो दिन पूर्व से होने लगा था। चिरागेहिन्द कमेटी की तरफ से जायरीनो के ठहरने का इन्तजाम मुसाफिर खाने में किया गया था। एक दिन पूर्व ही हाजी हरमैन की मजार को गुस्ल देकर व चादर पोसी की गयी। उसके बाद सुबह में कुरान खानी के बाद से मेले का आगाज हो गया। मेले में अदुभुत नजारा दिन के तीन बजे देखने को मिला जब हजारों सर सजदे में थे, और दोनो हांथ देश में अमन चैन की दुवाओं के लिये बुलन्द हुए।
दिन के तीन बजे अदा की जाने वाली नमाज सलालुत तारीफ नफिल को अदा कराने वाले हाजी हरमैन के खानदान के सज्जादा नसीन शाह डा जुबेर अहमद हाजी बाबा की गुदड़ी पहनकर हाथ में तलवार लिये हुए और सर पे साफा बाधे हुए बाबा बन्दिगी शाह की दरगाह से जुलूस की शक्ल में लबे रोड होते हुए रौजे पर पहुंचे। ठीक सवा तीन बजे नमाज अदा की गयी।
शाम को लकड़ी का अखाड़ा और नातिया अंजुमन बाबा बन्दिगी शाह की मजार से चलकर लबे रोड होता हुआ चौराहे तक आकर मेले में तब्दील हो गया । इस दौरान युवको द्वारा खतरनाक करतब दिखाये गये । मेला बच्चो के लिये खिलौने , झूलों , मिठाइयां और औरतों के लिये सिंगार पटार के समानों से सजी हुई दुकानों से भरा पड़ा था । दिन रात चलने वाले मेले में रात्रि में महफिले शमा का भी इंतेजाम रहा ।
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