राजा इदारत जहां १८५७ जनक्रांति का प्रथम शहीद किस परिवार से थे ?
राजा इदारत जहां के पूर्वज सैयद आख्वंद मीर थे जो हुमायूँ के साथ ईरान से भारत आये थे । आख्वंद मीर की औलाद में सैयदजान अली थे जो खान ज़मा अली कुलीच खान के लिए जौनपुर सेना के साथ भेजे गए । उन्होंने राजा माहुल, राजा अंगुली और राजा सहावी को गिरफ्तार कर के शान्ति स्थापित की थी । अकबर बादशाह ने उन्हें "जान" की पदवी से सम्मानित किया ।
इस तरह उन्हें सैयेद जान अली सैयेद जान कहा जाने लगा । बादशाह अकबर ने उन्हे माहूल की जागीर का पुरा इलाक़ा दे दिया और राजा की पदवी से सम्मानित किया ।
सैयेद जान अली सैयेद जान ने अपने रहने के लिये खुरासा को आबाद किया जिसका नाम अब खुरासो हो गया है । राजा शमशाद जहा ने शम्साबाद और राजा दीदार जहा ने दीदार गंज आबाद किया और इसी प्रकार बशारत पूर और इदारात नगर भी आबाद किये गये ।
राजा इदारत जहां के बारे में और लेख ।
१. आज़ादी की लड़ाई का पहला शहीद एक हुसैनी था ।
२. आज जानिये जौनपुर शाही क़िले की दो क़ब्रो का राज़ क्या है ?
राजा इदारत जहां के पूर्वज सैयद आख्वंद मीर थे जो हुमायूँ के साथ ईरान से भारत आये थे । आख्वंद मीर की औलाद में सैयदजान अली थे जो खान ज़मा अली कुलीच खान के लिए जौनपुर सेना के साथ भेजे गए । उन्होंने राजा माहुल, राजा अंगुली और राजा सहावी को गिरफ्तार कर के शान्ति स्थापित की थी । अकबर बादशाह ने उन्हें "जान" की पदवी से सम्मानित किया ।
इस तरह उन्हें सैयेद जान अली सैयेद जान कहा जाने लगा । बादशाह अकबर ने उन्हे माहूल की जागीर का पुरा इलाक़ा दे दिया और राजा की पदवी से सम्मानित किया ।
माहुल दीदार गंज |
माहुल शमसाबाद |
माहुल खुरासा |
सैयेद जान अली सैयेद जान ने अपने रहने के लिये खुरासा को आबाद किया जिसका नाम अब खुरासो हो गया है । राजा शमशाद जहा ने शम्साबाद और राजा दीदार जहा ने दीदार गंज आबाद किया और इसी प्रकार बशारत पूर और इदारात नगर भी आबाद किये गये ।
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१. आज़ादी की लड़ाई का पहला शहीद एक हुसैनी था ।
२. आज जानिये जौनपुर शाही क़िले की दो क़ब्रो का राज़ क्या है ?
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