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मुहल्ला सिपाह :- इब्राहीम शाह शार्क़ी शासन काल मे इसे काजी अब्दुल मुक़्तदिर ने आबाद किया था | इस मुहल्ले मे शार्क़ी सेना के रिसालदार यहां आबाद थे |इतिहासकारो ने लिखा कि इब्राहीम शाह शार्क़ी ने इसका नाम सिपाह खुद रखा और सेनापातियो, उलमा ने अपना अपना निवास स्थान इसे बनाया |आज आस पास के १० मुहल्ले मिला के सिपाह मुहल्ला बना है |
मुहल्ला शेख्वाडा :-इस मुहल्ले मे इब्राहीम शाह शार्क़ी के समय मे शेख रहा करते थे इसलिये इसका नाम शेख वाडा पड गया लेकिन आज यहा सभी धर्म के लोग रहा करते है | ये एक मातम महमूद शाह न निवास सरहान भी था |
मुहल्ला शाह चूप या बल्लोच टोला :- यहा प्राचीन काल मे एक महान महात्मा रहते थे जो अधिकतर चूप रहा करते थे और यहा दस बल्लोची रहा करते थे जिंके कारण इसका नाम मुहल्ला शाह चूप या बल्लोच टोला पड गया |
बाग ए हाशिम या दाढी यांना टोला :- ये आज के पुरानी बाजार इलाक़े मे मौजूद है | सिकंदर लोधी के समय मे ये एक मशहूर मुहल्ला था | पुराने समय में इस मोहल्ले की सीमा फिरोजशाह के मकबरे तक थी
ख्वाजा दोस्त ;- अकबर बादशाह के जमाने मे ख्वाजा दोस्त प्रख्यातविध्वान थे जिंके नाम पे ये नाम पडा |
नंद मुहल्ला ;- नंद लाल हुसैन शाह शार्क़ी के समय के दिवानके पद पे असीन थे जिंके नाम पे नंद मुहल्ला नाम पडा |
मुहल्ला सोनी टोला ;- इस मुहल्ले मे सोने चांदी के दलाल रहा करते थे इसलिये इसका नाम सोनी टोला पड गया |
मुहल्ला रास मंडळ :- रास मंडळ वास्तव मे एक बडे चबुतरे को कहते थे जहां ब्रह्मणो के लडके दशहर के अवसर पे राम लीला किया करते थे |
मुहल्ला फत्तुपुरा :- ये मुहल्ला रोज जमाल खान के पास है जो अब खेत मे बदल गया है |
मानिक चोक :- इस चौक को बादशाह अकबर के शासन काल मे मानिक चंद दिवाण खान खाना ने ९७२ हिजरी मे बनवाया | पुराने समय मे यहा जौहरी और अत्तार की दुकाने थी |
ढाल घर टोला :- यहा के कारीगर तलवार और ढाल बनाया करते थे |
खान खाना मुहल्ला :- इसे अब नख्खास कहा जाता है यहा जानवरो का बाजार लगा करता था |
खुसरो मुहल्ला या गुलर घाट :- यहा नौका से गल्ला लाया जाता था और यहा पठान रहा करते थे जो बहादुरी मे बहूत मशहूर थे |
मुंगेरी मुहल्ला या करार कोट ;- पुराने समय मे यहा स्नानग्रहो मे आने वालो को नहलाने वाले रहा करते थे |
बशीर गंज मुहल्ला :- बशीर खां कोतवाल ने नवाबो के समय मे इसे आबाद किया |
आदम खां मुहल्ला :- ये मुहल्ला फिरोज शाह तुग्लक के समय मे आदम खा ने आबाद किया |
मुहल्ला अर्जन :- ये मुहल्ला नैमुल्ला तथा अजीजुल्ला जो कक़्दूम ख्वाजा के पुत्र थे उनका आबाद किया हुआ है |
मुस्तफाबाद या भंडारी :- इसे काजी गुलाम मुहम्मद मुस्तफा उर्फ मझले मिया ने आबाद किया था | काजी गुलाम मुहम्मद मुस्तफा गरीबो को भंडारा देते थे इसलिये इसका नाम भंडारी पड गया |
बाजार अलफ खा या अबीर गढ टोला या काजीयांना :- अलफ खा जाति के पठान थे और उनकी हवेली भी यही पे थी जिनके नाम पे इसका नाम मुहल्ला अलफ खा पड गया |
निजाम टोला या मीर मस्त :- ये मुहल्ला सुलतान अशरफ काआबाद किया हुआ है |
मुहल्ला रिजवी खा :- मिर्झा मिरक रिजवी ने इसे आबाद किया जो अकबर के समय मे प्रबंधक के पद पे आसीन थे |
मुहल्ला अटाला :-ये मुहल्ला रिजवी खा मे ही आता है लेकिन इस स्थान पे फौज इब्राहीम शाह के समय मे रहती थी इसलिये इसका नाम अटाला पड गया और बाद मे इसी के पास मस्जिद बनी जिसे अटाला मस्जिद कहां गया |
अल्फीस्तन गंज :- ये अंग्रेजो के एक जज अल्फीस्तान के नाम पे पडा है |
वेलंद गंज या ओलंद गंज :- ये भी एक जज थे जिनके नाम पे इसका नाम पडा |
मियां पूर :- यह पुराना मुहल्ला है जिसका नाम मिया मुहम्मद नूह के नाम पे पडा है |
जोगिया पूर :- शर्क़ी काल मे जेल और आसपास का इलाक़ मुहल्ला अल्लानपूर मे आता था | ये मुहल्ला कुतुब बीनाय दिल का आबाद किया हुआ है |
दीवान शाह कबीर या ताड तला :- ये मुहल्ला दिवाण शाह कबीर का आबाद किया हुआ है और सन ९९२ से पहले का मुहल्ला है |
तूतीपूर :-काजी मुहम्मदयुसुफ के एक गुलाम ने इस मुहल्ले को आबाद किया उसका नाम तूती था |
मुफ्ती मुहल्ला :-ये मुहल्ला सैयद अबुल बक़ा का आबाद किया हुआ है जिंका देहान्त सन १०४० मे हुआ |
खाआलीस पूर :- इस मुहल्ले को खालिस मुखलीस ने आबाद किया जो शर्क़ी समय मे सूबेदार के पद पे असीन थे |
पान दरीबा :-नसीर खा फिरोज शाह तुग्लक़ के पुत्र शाह इस्माईल ने इसे आबाद किया |
मुहाल गाजी :- अकबर के जमाने के एक प्रतिष्ठित व्यक्ती गाजी खा ने इसे आबाद किया था |
शेख यहिया या बाजार भूआ :- अकबरी दरबार के एक कवि शेख यहिया थे उन्ही के नाम पे ये मुहल्ला आबाद हुआ | बाजार भूआं इलाक़े मे पहले भूप तिवारी रहते थे जिनके नाम पे बजार भूआ नाम पडा |
अबीर गड टोला :-यहा अबीर बनती थी |
रुहत्ता अजमेरी :- शर्क़ी काल मे यहा एक अजमेरी शाह रहते थे |
हम्माम दरवाजा :- यहा एक स्नानगृह था जिसे तुर्क़ी क़ौम ने बनवाया था इसी वजह से इसे हम्माम दरवाजा कहा गया |
कोठीया बीर :- यहा पहले एक मठ था जिसके कारण इसे कोठीयाबीर कहा गया |कोठीयाबीर एक रिशी ऋषि थे |
बाग हाशीम :- शेख बुरहानुद्दीन एक सुफी थे सन ९४७ हिजरी मे इनका देहांत हो गया |
सदल्ली पूर :- मुहम्मद हसन कालेज के पीछे और चित्रसारी के क़ब्रिस्तान के पहले एक मुहल्ला है सदल्ली पूर जिसका सही नाम सैयेद अली पूर है | जिनकी शान मे लाल दरवाजा बीबी राजे ने बनवाय था |
मकदूम शाह अढन :- यह मोहल्ला मकदूम शाह अढन के नाम पे बसा जो यहाँ दफन भी हैं | कल्ली के इमाबदे के पास का इलाका है यह |
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