जौनपुर का इतिहास शाही घरानों और ज़मींदार घरानों से भरा पड़ा है | बहुत से घराने ऐसे हैं जो देश के दुसरे हिस्सों में या विदेश में जा के बस गए लेकिन बहुत से ऐसे घराने से जुड़े लोग आज भी जौनपुर में रहते हैं | मैं इस श्रेणी में अब तक राजा जौनपुर के घराने और ज़ुल्क़द्र खान बहादुर सय्यद मोहम्मद नासिर अली के घराने के बारे में इस जौनपुर की पहली वेबसाईट से बता चुका हूँ जिसे आप लोगों ने सराहा भी |
इसकी अगली कड़ी में आज आपके सामने पेश है दीवान काशी नरेश खान बहादुर अली जामिन के घराने की कुछ बातें |
उन्होंने अपना करियर डिप्टी कलेक्टर ही हैसीयत से शुरू किया और सन १९३९ में काशी नरेश राजा आदित्य नारायण सिंह ने अली जामिन को दीवान काशी नरेश बना दिया | अपने अंतिम समय में राजा आदित्य नारायण सिंह ने दीवान अली जामिन साहब को बुलाया और अपने १२ साल के पुत्र विभूति नारायण का हाथ उनके हाथ में दे दिया | जुलाई १९47 में विभूति नारायण के हाथ में काशी की सत्ता दे दी गयी |
सय्यद अली जामिन परिवार के साथ | |
16 सितम्बर १९४८ को दीवान काशी नरेश अली जामिन के त्यागपत्र देने के बाद हादी अखबार ने लिखा बनारस राज्य एक हिन्दू राज्य होने के बाद भी अधिकतर वहाँ के दीवान जौनपुर के सय्यिद हुआ करते थे जिनके बनारस स्टेट में बहुत अधिक अधिकार प्राप्त थे और स्येद अली जामिन उनमे से अंतिम दीवान थे |
Ref: From the depth of memories -A Family Saga – By Rubab Naqvi-Published VK Canada.
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From the Depth of Memories - A Family saga by Rabab Zamin . Royal families of Jaunpur.
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खान बहादुर दीवान काशी नरेश अली जामिन साहब की बेटी से बातचीत आप भी सुनें |
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