जौनपुर के इतिहास पे यदि नज़र डालें तो दिखता है की यह बौध काल में व्यापार का केंद्र रह चुका है, शार्की समय में एक शतक तक केवल राजधानी ही नहीं रहा बल्कि बहुत ही सुन्दर शहरों में इसकी गिनती हुआ करती थी जहां की बंद नालिया बहुत मशहूर थीं और आज यह गन्दी और खुली नालियों का शहर बन के रह गया है और ज्ञान के मामले में तो इतना मशहूर था की इसका नाम ही शिराज़ ऐ हिन्द रख दिया गया और आज यहां ज्ञान देने वाली संस्थाओं का व्यापारीकरण होता जा रहा है |
एक शतक तक शार्की राज्य की राजधानी रह चूका जौनपुर आज मूलभूत सुविधाओ जैसे समय पे बिजली,स्वच्छ पानी ,अच्छी सडकें ,अच्छे अस्पताल और रोज़गार जैसी समस्याओं से लड़ रहा है | वर्षों से इलेक्शन के आस पास नेता आते हैं और इन्ही मूलभूत सुविधाओ के लिए वादे करते है और जीतने के बाद या तो गायब हो जाते हैं या फिर राज्य सरकार और केंद्र सरकार की सत्ता के एक ना होने के बहाने बना के अपना कार्यकाल पूरा कर लेते हैं और जौनपुर वासी फिर से इलक्शन का इंतज़ार करते दिखते है इस उम्मीद के साथ की नयी सरकार आएगी और उनका जौनपुर बदलेगा |
ध्यान से देखिएं तो पायेंगे की वर्षों से नेताओं के वादे के बाद भी आज यहाँ मूलभूत सुविधाओ का अभाव है, कोई भी समस्या हो जैसे गोमती की सफाई, जौनपुर को पर्यटन छेत्र घोषित करना सब एक शोर बन के रह जाते हैं लेकिन इन समस्याओं का समाधान नहीं होता |
कब तक इन समस्याओं को दिखा दिखा के जहां की जनता को ठगा जाता रहेगा ?
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