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    मंगलवार, 11 नवंबर 2014

    मन कै अँधेरिया अँजोरिया से पूछै… आवाज-डा. मनोज मिश्र

    manoj
    मन कै अँधेरिया अँजोरिया से पूछै,
    टुटही झोपड़िया महलिया से पूछै,
    बदरी मा बिजुरी चमकिहैं कि नाँहीं,
    का मोरे दिनवाँ बहुरिहैं कि नाँहीं।

       माटी हमारि है हमरै पसीना,
       कोइला निकारी चाहे काढ़ी नगीना,
       धरती कै धूरि अकास से पूछै,
       खर पतवार बतास से पूछै,
       धरती पै चन्दा उतरिहैं कि नाँहीं।

    … … का मोरे दिनवाँ बहुरिहैं कि नाँहीं।
       दुख औ दरदिया हमार है थाती,
       देहियाँ मा खून औ मासु न बाकी,
       दीन औ हीन कुरान से पूछै,
       गिरजाघर भगवान से पूछै,
       हमरौ बिहान सुधरिहैं कि नाँहीं।

    … … का मोरे दिनवाँ बहुरिहैं कि नाँहीं।
       नाँहीं मुसलमा न हिन्दू इसाई,
       दुखियै हमार बिरादर औ भाई,
       कथरी अँटरिया के साज से पूछै,
       बकरी समजवा मा बाघ से पूछै,
       एक घाटे पनिया का जुरिहैं कि नाँहीं।

    … … का मोरे दिनवाँ बहुरिहैं कि नाँहीं।
       आँखी के आगे से भरी भरी बोरी,
       मोरे खरिहनवा का लीलय तिजोरी,
       दियना कै जोति तुफान से पूछै,
       आज समय ईमान से पूछै,
       आँखी से अँधरे निहरिहैं कि नाँहीं।
    … … का मोरे दिनवाँ बहुरिहैं कि नाँहीं।
    (~हरिश्चंद्र पांडेय ‘सरल’)
    आवाज-डा. मनोज मिश्र
    अवधी गीत : बाज रही पैजनिया..
    बाज रही पैजनिया छमाछम बाज रही पैजनिया..
    के हो गढ़ावै पाँव पैजनिया, के हो गढ़ावै करधनिया ..?/!
    … … छमाछम बाज रही पैजनिया!!
    के हो गढ़ावै गले कै हरवा, के हो गढ़ावै झुलनिया ..?/!
    … … छमाछम बाज रही पैजनिया!!
    ससुर गढ़ावैं पाँव पैजनिया, जेठ गढ़ावैं करधनिया ..!
    … … छमाछम बाज रही पैजनिया!!
    छमाछम बाज रही पैजनिया!!
    सैयाँ गढ़ावैं गले कै हरवा, देवरा गढ़ावै झुलनिया ..!
    … … छमाछम बाज रही पैजनिया!!
    अवधी गीत : बालम मोर गदेलवा..

    अवधी गीत : बालम मोर गदेलवा..
    तरसे जियरा मोर-बालम मोर गदेलवा
    कहवाँ बोले कोयलिया हो ,कहवाँ बोले मोर
    कहवाँ बोले पपीहरा ,कहवाँ पिया मोर ,
    बालम मोर गदेलवा…..
    अमवाँ बोले कोयलिया हो , बनवा बोले मोर ,
    नदी किनारे पपीहरा ,सेजिया पिया मोर
    बालम मोर गदेलवा…..
    कहवाँ कुआँ खनैबे हो ,केथुआ लागी डोर ,
    कैसेक पनिया भरबय,देखबय पिया मोर ,
    बालम मोर गदेलवा…..
    आँगन कुआँ खनाईब हो रेशम लागी डोर ,
    झमक के पनिया भरबय, देखबय पिया मोर ,
    बालम मोर गदेलवा….
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