जौनपुर। वन विहार रोड पर स्थित नेहरू बालोद्यान इं0कालेज परिसर में 22 से
24 नवम्बर 2014 के मध्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार द्वारा
संचालित तीन दिवसीय राज्य स्तरीय राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस कार्यक्रम
का उद्घाटन मुख्य अतिथि पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न डाॅ0एपीजे अब्दुल कलाम
आज अपरान्ह 1ः00 बजे दीप प्रज्जवलित कर सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर
कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। विद्यालय की छात्राओं द्वारा सरस्वती वन्दना
भी प्रस्तुत किया गया। इससे पूर्व छात्राओ एवं विद्यालय प्रबन्धक
सी0डी0सिंह द्वारा मंचस्थ सभी अतिथियों को बुकें देकर स्वागत किया। डा0 अजय
सिंह ने मुख्य अतिथि पर लिखी पुस्तक का कुछ अंश पढ़कर सुनाया जिसपर
दर्शकों ने तालियों से स्वागत किया।
मुख्य अतिथि पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न डाॅ0एपीजे अब्दुल कलाम नें इसरो की उपलब्धि पर प्रकाश डालते हुए बताया कि अन्तरिक्ष में जितने भी सौर्य मण्डल हैं इनमें ग्रह एवं उपग्रह के बारे में विस्तार से बताया और बच्चों को आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।दृढ़ निश्चय कठिन परीश्रम से सभी असम्भव काम को सम्भव किया जा सकता है।हिन्दुस्तान में विभिन्न प्रदूषणों से मानव को पैदा हो रहे खतरे के प्रति आगाह किया तथा इसका मुख्य कारण दुनिया में बढ़ रहे लोगों की गतिविधियों के निराकरण के लिए उसके बाल वैज्ञानिकों को आगे आना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि उ0प्र0 देश ही नही दुनिया का सबसे बड़ा राज्य है। यदि उ0प्र0 का वैज्ञानिक विकास होगा तभी देश का विकास होगा। उन्होंने बताया कि उ0प्र0 50 लाख नवयुवक छात्र/छात्राओं को परामर्श दिया कि उनके स्किल विकास से ही देश प्रदेश का विकास सम्भव है। इसके लिए उन्होंने तीन सूत्र दिए उन्होंने कहा कि सामाजिक समस्याओं को देखिए,स्वप्न संदेश बनाइए, अपनी मातृ भूमि और माता को मुस्कराने के लिए सुनियोजित तरीके से परीश्रम करते हुए आगे बढ़े। उन्होंने बढ़ते हुए बाल वैज्ञानिकों से कहा कि जीवन का ध्येय प्राप्त करने के लिए कठिन परीश्रम-कठिन परीश्रम करने पर ही आपको सफलता मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि आप समाज और प्रकृति को क्या दे रहे हैं। आप उनका भी ध्यान रखिए क्योंकि प्रकृति आपको सबकुछ दे रही है। इसे सुनिश्चित रखने के लिए आप सब बाल वैज्ञानिकों को आगे आना होगा। उन्होंने बताया कि चीन रूस और अमेरिका के विकास करने में वैज्ञानिक अधिक है और विकसित देश है। हमारे देश में दुनिया के सभी देशों से संसाधन अधिक है। आज आवश्यकता है सदुपयोग करने की। वह आपसब ही कर सकते है। मौके पर ही बाल वैज्ञानिक कुड़ाल सिंह, आदिति आदि ने प्रश्न पूंछा जिसपर उत्तर देते हुए बाल वैज्ञानिकों को आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। उन्होंने बच्चों को बाल विज्ञान के प्रश्न पूंछने के लिए वेबसाइट- से जानकारी लेने की सलाह दी।
अपने उद्बोद्यन के बाद डा0 कलाम ने उपस्थित तीन छात्रों से सवाल करने को कहा। जिसमें दो छात्रों ने अग्रेजी में सवाल किये लेकिन कनौज से आया अनुपम मिश्रा नामक तीसरे छात्र ने सवाल किया कि चायना, जापान और अमेरिका अपनी मात्र भाषा बोलकर विकासशील देश हो सकता है तो हम अपनी मात्र भाषा हिन्दी बोलकर आगे क्यों नही बढ़ सकते। छात्र का सवाल सुनते ही पूरा पण्डाल तालियों की गड़गड़ाहट से गुंज उठा। डा0 कलाम ने बताया कि हिन्दी काफी कठिन भाषा है उसका इस्तेमाल टेक्लिाॅजी में करना मुमकीन नही है।
मुख्य अतिथि पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न डाॅ0एपीजे अब्दुल कलाम नें इसरो की उपलब्धि पर प्रकाश डालते हुए बताया कि अन्तरिक्ष में जितने भी सौर्य मण्डल हैं इनमें ग्रह एवं उपग्रह के बारे में विस्तार से बताया और बच्चों को आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।दृढ़ निश्चय कठिन परीश्रम से सभी असम्भव काम को सम्भव किया जा सकता है।हिन्दुस्तान में विभिन्न प्रदूषणों से मानव को पैदा हो रहे खतरे के प्रति आगाह किया तथा इसका मुख्य कारण दुनिया में बढ़ रहे लोगों की गतिविधियों के निराकरण के लिए उसके बाल वैज्ञानिकों को आगे आना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि उ0प्र0 देश ही नही दुनिया का सबसे बड़ा राज्य है। यदि उ0प्र0 का वैज्ञानिक विकास होगा तभी देश का विकास होगा। उन्होंने बताया कि उ0प्र0 50 लाख नवयुवक छात्र/छात्राओं को परामर्श दिया कि उनके स्किल विकास से ही देश प्रदेश का विकास सम्भव है। इसके लिए उन्होंने तीन सूत्र दिए उन्होंने कहा कि सामाजिक समस्याओं को देखिए,स्वप्न संदेश बनाइए, अपनी मातृ भूमि और माता को मुस्कराने के लिए सुनियोजित तरीके से परीश्रम करते हुए आगे बढ़े। उन्होंने बढ़ते हुए बाल वैज्ञानिकों से कहा कि जीवन का ध्येय प्राप्त करने के लिए कठिन परीश्रम-कठिन परीश्रम करने पर ही आपको सफलता मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि आप समाज और प्रकृति को क्या दे रहे हैं। आप उनका भी ध्यान रखिए क्योंकि प्रकृति आपको सबकुछ दे रही है। इसे सुनिश्चित रखने के लिए आप सब बाल वैज्ञानिकों को आगे आना होगा। उन्होंने बताया कि चीन रूस और अमेरिका के विकास करने में वैज्ञानिक अधिक है और विकसित देश है। हमारे देश में दुनिया के सभी देशों से संसाधन अधिक है। आज आवश्यकता है सदुपयोग करने की। वह आपसब ही कर सकते है। मौके पर ही बाल वैज्ञानिक कुड़ाल सिंह, आदिति आदि ने प्रश्न पूंछा जिसपर उत्तर देते हुए बाल वैज्ञानिकों को आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। उन्होंने बच्चों को बाल विज्ञान के प्रश्न पूंछने के लिए वेबसाइट- से जानकारी लेने की सलाह दी।
अपने उद्बोद्यन के बाद डा0 कलाम ने उपस्थित तीन छात्रों से सवाल करने को कहा। जिसमें दो छात्रों ने अग्रेजी में सवाल किये लेकिन कनौज से आया अनुपम मिश्रा नामक तीसरे छात्र ने सवाल किया कि चायना, जापान और अमेरिका अपनी मात्र भाषा बोलकर विकासशील देश हो सकता है तो हम अपनी मात्र भाषा हिन्दी बोलकर आगे क्यों नही बढ़ सकते। छात्र का सवाल सुनते ही पूरा पण्डाल तालियों की गड़गड़ाहट से गुंज उठा। डा0 कलाम ने बताया कि हिन्दी काफी कठिन भाषा है उसका इस्तेमाल टेक्लिाॅजी में करना मुमकीन नही है।
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