
आज जहां विश्व में लोग हर दिन अपडेट के लिए फेसबुक ,ट्विटर और वेब न्यूज़ पोर्टल पे विश्वास करते हैं वही दूसरी ओर भारतवर्ष में फेसबुक इत्यादि को टाइम पास और मनोरंजन के लिए अधिक इस्तेमाल किया जाता है और यही कारण हैं की अमरीका जैसे देश में जहां लोग ख़बरों के लिए ट्विटर द्वारा शेयर की गयी वेब न्यूज़ पोर्टल्स पे अधिक भरोसा करते हैं | ट्विटर पे अफवाहों को फैलाना आसान भी नहीं होता क्यूँ की वहाँ बहुत कम शब्दों में ही बात सामने रखी जा सकती है |
एक सर्वे के अनुसार देश के चार महानगरों में 30 फीसदी और बाकी बड़े शहरों में 26 फीसदी युवा सोशल मीडिया से जुड़े हैं जिनमे से अधिक संख्या १५ से ३५ वर्षीय लोगों की अधिक है और इनको देखते हुए सोशल मीडिया से जुड़े उन लोगों की ज़िम्मेदारी अधिक बढ़ जाती है जो लोगों को हर दिन कुछ न कुछ अपने लेख ,ख़बरों या टिपण्णी इत्यादि द्वारा दिया करते है |
वेब पत्रकारिता से जुड़े लोग यदि चाहते हैं की उनके पोर्टल पे लोगों का विश्वास बना रहे तो किसी भी प्रकार के लोभ को छोड़ के इमानदारी से सही खबरें लोगों तक पहुंचाएं ,अफवाहों से बचें, सस्ती लोकप्रियता के हथकंडों का इस्तेमाल ना करें |
अभी सुनहरा अवसर है जो एक बार पाठको में विशवास पैदा कर गया समझो हमेशा के लिए कामयाब पोर्टल का मालिक बन गया |
राजनीतिक और व्यापारिक स्वार्थ के कारण अफवाहों को इस सोशल मीडिया के इस्तेमाल की खबरें हम और आप हर दिन पढ़ा करते हैं और इसी लोगों से आज अंतरजाल पे उनका टकराव होना है जो पाठको के मन में अपनी विश्वसनीयता कायम करते हुए आगे बढ़ते रहना चाहते हैं | ध्यान रहे विस्वास एक दिन में कायम नहीं होता बाकि हर दिन भ्रामक खबरों और लेख से बचते हुए सही दिशा देते रहने से होता है और इसी के साथ साथ पाठको को जागरूक भी करते रहना होगा की कैसे अफवाहों,भ्रामक खबरों,सायबर मॉर्फिंग , सायबर बुल्लिंग इत्यादि से बचें |
जिस प्रकार वेब न्यूज़ पोर्टल चलाने वालों और अन्य सोशल मीडिया पे लिखने वालों टिपण्णी करने वालों की ज़िम्मेदारी है की अपनी विश्वसनीयता कायम करे उतनी की ज़िम्मेदारी कानून व्यवस्था कायम रखने वालों की भी बनती है की कैसे वो अपनी टीम को सायबर मॉर्फिंग ,सायबर सायबर बुल्लिंग और अफवाह फैलाने वालों की पहचान करना सिखाएं |
पियू रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट को देखते हुए यह कहा जा सकता है की अमेरिकी इंटरनेट यूजर्स सोशल मीडिया के फायदों के बारे में भारतीयों से कहीं ज्यादा वाकिफ हैं। उनके लिए यह सूचनाएं प्राप्त करने का एक आसान माध्यम है, जबकि हमारे यहां यह सूचनाएं साझा करने का।
इसलिए ऐसी ख़बरों, पोस्ट, लेख और टिप्पणियों से बचें जिनकी विश्वसनीयता संदिग्ध हो, बरगलाने वाली हों भ्रामक हो ।
..लेखक एस एम् मासूम

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केराकत(जौनपुर) : देखा जाए तो आजादी के बाद कई सरकारें बनी और बिगड़ी। यहां क्षेत्र की रहनुमाई करने वाले चेहरे पर चेहरे बदलते गए। लेकिन पूर्वांचल की सबसे उपेक्षित केराकत तहसील की सूरत नहीं बदली। अब प्रदेश में बन रही भाजपा की सरकार से लोगों को काफी उम्मीद है। अब देखना है कि सरकार जनता की उम्मीदों पर कितना खरा उतरती है।
जवाब देंहटाएंअधूरी परियोजनाएं
देखा जाए तो बसपा शासनकाल में करोड़ों रुपये की लागत से स्वीकृत विकास खंड मुफतीगंज के पसेवा मई घाट पर निर्माणाधीन पक्का पुल, बीरमपुर घाट पर निर्माणाधीन पक्का पुल व धर्मापुर के अखड़ो घाट पर निर्माणाधीन पक्का पुल जो धनाभाव के चलते अधर में लटका पड़ा है। यही नहीं मुफतीगंज के नैपूरा घाट पर पीपा पुल अब तक पुन: न लगना जनता को खलता है। लेकिन अब लोगों में नई सरकार व नए रहनुमा से उम्मीद की किरण जगी है।
बदरंग हो चली स्टेशनों की सूरत
जौनपुर-औड़िहार रेल मार्ग पर स्थित स्टेशनों दुधौड़ा, डोभी, केराकत, गंगौली, मुफतीगंज, यादवेन्द्र नगर स्टेशनों की बदतर स्थिति में सुधार की उम्मीद जगी है। यही नहीं केराकत को स्टेशन का दर्जा देने के साथ टिकट आरक्षण केंद्र की व्यवस्था तथा लंबी दूरी की ट्रेनों के संचालन व केराकत, डोभी व मुफ्तीगंज पर ट्रेनों के ठहराव सहित अन्य यात्री सुविधाओं के बढ़ने की उम्मीद जगी है।
बेकार पड़े हैं हाटपैड
क्षेत्र में कृषि उत्पादन वस्तुओं की क्रय-विक्रय हेतु लाखों रुपये की लागत से हुरहुरी, शहाबुद्दीनपर, डोभी के उमरी, धर्मापुर के सेवईनाला व इमलो में निर्मित बेकार पड़े हाटपैड को चालू करने की आवश्यकता है। यही नहीं इस तहसील में एक मात्र शीतगृह है। आलू उत्पाद किसानों के आलू भंडारण की समस्या से निजात दिलाने हेतु एक राजीय कोल्ड सटोरेज की आवश्यकता है।
यातायात की समस्या
केराकत में यातायात की समस्या से निजात दिलाने हेतु आजमगढ, गाजीपुर, वाराणसी, जौनपुर तथा इलाहाबाद आदि महानगरों में आने-जाने हेतु राजकीय बसों के अधिकाधिक संचालन की दरकार है। यदि यहां एक राजकीय बस डिपो का निर्माण कर दिया जाए तो यहां की इस प्रमुख समस्या से निजात मिल जाती।
जलसंकट व जल निकासी
केराकत क्षेत्र के कुछ प्रमुख बाजारों मुफ्तीगंज, सर्की व पतरही आदि बाजारों में जल निकासी हेतु पक्की नाली के निर्माण की आवश्यकता है। साथ ही पेयजल संकट हेतु मुफ्तीगंज बाजार में पानी टंकी से बाधित जलापूर्ति की व्यवस्था सुनिश्चित कराने के लिए पतरही, देवकली आदि बाजारों में पानी की टंकी की दरकार है।
राजकीय महिला डिग्री कालेज की दरकार
केराकत नगर में एक अर्से से राजकीय महिला डिग्री कालेज की स्थापना की मांग पर सपा शासन में स्वीकृत करोड़ों रुपये की लागत से केराकत के नार्मल स्कूल के जर्जर भवन को गिराकर उसके स्थान पर राम मनोहर लोहिया राजकीय डिग्री कालेज पर लगे ग्रहण को देखते हुए कोई रास्ता निकालने की आवश्यकता है।
केराकत में बने मुन्सिफ कोर्ट
इस तहसील में वादकारियों के हित को देखते हुए यहां के अधिवक्ताओं द्वारा समय-समय पर केराकत में मुन्सिफ कोर्ट की स्थापना की मांग को देखते हुए इस पर मजबूत पहल की आवश्यकता है। जिसे लेकर अधिवक्ताओं में उम्मीद जगी है।
स्वास्थ्य समस्या से मिले निजात
केराकत में अस्पतालों की दशा में काफी सुधार की आवश्यकता है। यहां अच्छे चिकित्सकों की तैनाती के साथ स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहतर व्यवस्था की दरकार है। साथ ही सभी बेकार पड़े निर्मित एएनएम सेंटर को चालू कराने की आवश्यकता है।
किसानों की व्यथा
वाराणसी-आजमगढ़ मार्ग के निर्माणाधीन फोरलेन में अधिग्रहीत डोभी के किसानों की भूमि का आजमगढ़ की अपेक्षा मुआवजे की धनराशि काफी कम रेट पर देने को लेकर किसान आंदोलन कर चुके हैं। यहां के किसान धरना प्रदर्शन, घेराव व मौन, मशाल आदि आंदोलन कर चुके हैं। ¨कतु आज तक उनके साथ इंसाफ नहीं हुआ। किसानों ने मतदान के बहिष्कार की भी धमकी दिया था जिसे लेकर भाजपा नेताओं ने आश्वासन देकर मतदान बहिष्कार आंदोलन को समाप्त कराया था। अब यहां के किसानों को प्रदेश की नई सरकार व नए विधायक से काफी उम्मीदे बंधी हैं।
करूंगा भरपूर प्रयास : विधायक
केराकत के नव निर्वाचित भाजपा विधायक दिनेश चौधरी ने कहा कि क्षेत्र की जो भी समस्याएं हैं उनका निदान कराने का भरपूर प्रयास करूंगा। श्री चौधरी ने कहा कि जनता अपने परीक्षा में पास हो गई है अब परीक्षा मेरी होनी है। हमें उम्मीद व विश्वास है कि जनता का सहयोग व आशीर्वाद के दम पर हम परीक्षा में अवश्य पास होंगे।