जौनपुर में होली के लिए उत्साहित लोगों के इंतज़ार की घड़ियाँ अब कम होने लगी है | होलिका दहन का समय आ गया और लोगों ने जनपद के विभिन्न क्षेत्रों में होलिका दहन का कार्यक्रम हुआ जिसके मद्देनजर जगह-जगह रेड़ का पेड़ गाड़ा गया था। इस मौके पर आयोजन समिति के लोगों ने अबीर-गुलाल, माला-फूल, धूप-अगरबत्ती से विधिवत् पूजा-पाठ करके परम्परा का निर्वाह करने के साथ ही एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाया। इसी क्रम में आस-पास की महिलाओं ने होलिका स्थल के चारों तरफ गोंठ बनाकर विधि-विधान से पूजा किया। देर शाम को पंचांग द्वारा निर्धारित मुहूर्त के अनुसार होलिका जलायी गयी जहां उपस्थित लोगों ने जलती होलिका के चारों तरफ चक्रमण करके जोगीरा कहा। इस दौरान ध्वनि विस्तारक यंत्र के माध्यम से होली व फिल्मी गीत बजे जहां लोगों ने पूरी रात झूमकर नृत्य करके होली के त्योहार का खूब जमकर आनन्द उठाया।
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होलिका दहन |
तेज धूप के साथ हल्की ठण्ड के बावजूद होली का हुड़दंग सड़को पर शुरू हो गया है बच्चो व किशोरो में उत्साह बढ़ गया है। शहर से लेकर गांव तक होलिका जलायी गयी। इसके पहले हालिका का पूजन किया गया। बाजारों में खरीददारी के लिए भारी भीड़ उमड़ी रही। शराब और भांग की दुकानो पर खररीददारो का जमघट लगा हुआ है। बाजारो में पर्व की खरीददारी के लिए लोग उमड़ पड़े हैं। दुकानो पर खड़े होने की जगह तक मिलना मुश्किल साबित हो रहा है। बाजारो में रंग, अबीर , गुलाल, टोपी, पिचकारी, गोझिया, पापड़, चिप्स, खोवा, पनीर की दुकानों पर लोग टूट पड़े हैं। सबसे ज्यादा भीड़ परचून की दुकानो पर लगी देखी गयी। बच्चे हालिका सजाने में मशगूल रहे और इसके लिए वे घर और दुकानो पर चन्दा मांग रहे थे। देर शाम तक बाजार गुलजार रहे। पर्व के लिए बाजारो सवेरे से ही भीड़ आना शुरू हो गयी थी। कहीं खोवा खरीदा जा रहा है तो कहीं पिचकारिय की दुकान पर भीड़ का रेला उमड़ा था। बच्चो में रंगबिरंगी सामान खरीदने के लिए अति उत्साहित दिखाई दे रहे थे। घर और गांव देहात जाने वाले एक दूसरे के ऊपर रंग गुलाल छिड़क कर ह¨ली मना रहे है। सभी का चेहरा रंगीन हो गया था। होलिका में लकड़ी डालने के लिए जगह जगह ढोलताशा बजाकर चन्दा वसूली किया जा रहा था।
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होलिका दहन |
हिन्दू रीति रिवाज के तहत गुरुवार को होली के त्योहार से पहले जिले में चहुंओर होलिका दहन किया गया। शहर में चौराहों व ग्रामीण इलाकों में खुले मैदान में होलिका जलाई गई। युवाओं की टोली ने ढोल-मजीरे की थाप पर गीत गाते हुए होलिका के लिए दिनभर चंदा एकत्र किया।
¨कवदंती है कि होलिका प्रहलाद को जलाने के लिए प्रयासरत थी। जिसके चलते होलिका खुद अपने बनाए चक्रव्यूह में फंस गईं और वह खुद ही आग से जल गई। जो गलत कर्मो पर अच्छे कर्मो की जीत को दर्शाता है। भारत एक कृषि प्रधान देश है। जिसमें इस दिन को नए सत्र के प्रवेश के साथ भी देखा जाता है। किसान इस दिन गेहूं के बाल, उबटन को पेड़ों व लकड़ियों के बीच जलाते है। इसके बाद अगले दिन रंग गुलाल के साथ होली मनाते है। शहर व ग्रामीण इलाकों में एक टीम लगकर हफ्ते भर पहले से ही होलिका का स्वरुप बनाने के लिए लकड़ी व झाड़ फूस इकट्ठा कर रही थी। जिसके लिए युवाओं की एक टोली भी घरों-घरों से चंदा वसूल रही थी। देर रात को जयकारे के साथ फाग गीत गाते, कबीरा बोलते लोगों ने होलिका दहन किया।
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होली में बाज़ार |
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होली की मस्ती |
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