वेब पत्रकारिता को जौनपुर में आये ५ वर्ष पूरे हो रहे हैं और मेरे अनुसार यह देर से आई और इसका मुख्य कारण यहाँ के पत्रकारों का अंतर्जाल के प्रति जागरूक ना होना भी माना जा सकता है |
एक साल कड़ी मेहनत के बाद पत्रकार भाइयों को वेब पत्रकारिता की अहमियत मिल के समझाने में और उन्हें जागरूक करने में मुझे कामयाबी मिली और सबसे पहले राजेश श्रीवासतव ने इसकी अहमियत समझी और आज कामयाबी के साथ वेब पत्रकारिता करते हुए अपना वेब पोर्टल शिराज़ ऐ हिन्द डॉट कॉम चला रहे है |
सबसे पहले मुझे डॉ मनोज मिश्रा जी ने पूर्वांचल विश्वविद्यालय की कार्यशाला में मॉस एंड मीडिया के स्टूडेंट्स के सामने इस विषय पे प्रकाश डालने का अवसर दिया जो बहुत कामयाब भी हुआ |
वेब पत्रकारिता में कामयाबी के बहुत से उसूल हैं जिन्हें मैं बार बार इसलिए अपने लेखो और लेक्चर द्वारा समझाता रहता हूँ क्यूँ मैं देख रहा हूँ की मशरूम की तरह वेब और न्यूज़ पोर्टल बन रहे हैं जो प्रिंट मीडिया की तरह ही यहाँ भी खबरें दाल रहे हैं जबकि प्रिंट मीडिया से वेब पत्रकारिता बहुत अलग है |
बहुत से लोग वेबसाइट जब बनाते हैं तो इस बात की चिंता उन्हें अधिक रहती है की उसकी डिजाईन देखने में सुंदर लगे जबकि किसी भी वेबसाइट में डिजाईन से अधिक अहमियत इस बात की है की वो रेस्पोंसिव है या नहीं है सर्च इंजन फ्रेंडली है या नहीं है और इसके बाद वेब पत्रकारिता में सबसे अधिक अहमियत हुआ करती हैं प्रमाणिक और सकारात्मक ख़बरों के देने की |
तीसरी अहमियत होती है ख़बरों को खुद तलाश करके डालने की ना की मीडिया सेंटर की ख़बरों को एक ही शब्दों में हर जगह डालते रहेने की |
और चौथी और सबसे अहम् शर्त यह होती है की आपका पोर्टल न्यूट्रल रहे और सामाजिक सरोकारों को ध्यान में रखते हुए खबर दे या अन्य शब्दों में कह सकते हैं की खबर ऐसी हो जो केवल सूचना भर ना हो बल्कि उसके साथ समस्या का समाधान भी हो |
वेब पत्रकारिता में अपना या पराया जैसा कोई भेदभाव ,झूटी कहानियो जैसे खबरें इत्यादि इसकी साख को कम कर देता है और पाठको की संख्या को कम देता है जो किसी भी वेबसाईट के लिए बुरी खबर हुआ करती है |
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