
शीतला चौकियां देवी का मन्दिर बहुत पुराना है। शिव और शक्ति की उपासना प्राचीन भारत के समय से चली आ रही है। इतिहास के आधार पर यह कहा जाता है कि हिन्दु राजाओं के काल में जौनपुर का शासन अहीर शासकों के हाथ में था। जौनपुर का पहला अहीर शासक हीरा चन्द्र यादव माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि चौकियां देवी का मन्दिर कुल देवी के रूप में यादवों या भरो द्वारा र्निमित कराया गया, परन्तु भरों की प्रवृत्ति को देखते हुए चौकियां मन्दिर उनके द्वारा बनवाया जाना अधिक युक्तिसंगत प्रतीत होता है। भर अनार्य थे। अनार्यो में शक्ति व शिव की पूजा होती थी। जौनपुर में भरो का आधिपत्त भी था। सर्वप्रथम चबूतरे अर्थात चौकी पर देवी की स्थापना की गयी होगी, संभवत- इसीलिए इन्हे चौकिया देवी कहा गया। देवी शीतला आनन्ददायनी की प्रतीक मानी जाती है। अत: उनका नाम शीतला पड़ा। ऐतिहासिक प्रमाण इस बात के गवाह है कि भरों में तालाब की अधिक प्रवृत्ति थी इसलिए उन्होने शीतला चौकिया के पास तालाब का भी र्निमाण कराया।

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