मशहूर सय्यद सैय्यद अली दाऊद कुतुबुद्दीन की शान मे बना था लाल दरवाजा |
शार्की समय में हुआ जौनपुर में महान संतो का आगमन जिनकी नस्ले आज भी यहां रहती है । जौनपुर में इब्राहिम शार्की का नाम ,उसका इन्साफ और नेकदिली की बातें सुन के तैमूर के आक्रमण के कारण बहुत से अमीर ,विद्वान, प्रतिष्ठित व्यक्ति ,कलाकार जौनपुर में शरण लेने आने लगे । इब्राहिम शाह ने हर महान संतो, विद्वानो और कलाकारों को इज़्ज़त दी और पद,जागीर इत्यादि दे के सम्मानित किया और जौनपुर में बसाया ।बहुत मशहूर है कि इब्राहिम शाह के दौर में ईद और बकरईद पे नौ सौ चौरासी विद्वानो की पालकियां निकला करती थी ।
जौनपुर में आने पे आपको दिखेगा की हर गली मोहल्ले में मकबरे और कब्रें भरी पडी हैं जिस से इसे कुछ लोग क़ब्रों और मकबरों का शहर भी कह देते हैं | इन मकबरों का कारन यही है की जब शार्की समय में नौ सौ से १४०० के बीच ग्यानी और संत आये तो जौनपुर की सुन्दरता और शांत वातावरण देख के यहीं बस गए और यही दफन हो गए और क़ब्रों और मकबरों के रूप में आज भी अपनी कहानियों में जीवित हैं |
शेख वजीहुद्दीन अशरफ ,उस्मान शीराज़ी ,,सदर जहा अजमल,क़ाज़ी नसीरुद्दीन अजमल, क़ाज़ी शहाबुद्दीन मलिकुल उलेमा क़ाज़ी निजामुद्दीन कैक्लानी, मालिक अमदुल मुल्क बख्त्यार खान, दबीरुल मुल्क कैटलॉग खान, मालिक शुजाउल मुल्क मखदू ईसा ताज,शेख शम्सुल हक़ ,मखदूम शेख रुक्नुद्दीन, सुहरवर्दी, शेख जहांगीर, शेख हसन ताहिर,मखदूम सैय्यद अली दाऊद कुतुबुद्दीन, मखदूम शेख मुहम्मद इस्माइल ,शाह अजमेरी,ख्वाजा क़ुतुबुद्दीन ,ख्वाजा शेख अबु सईद चिस्ती ,मखदूम सैयद सदरुद्दीन, शाह सैय्यद ज़ाहिदी, मखदूम बंदगी शाह,साबित मदारी।, शेख सुलतान महमूद इत्यादि
लाल दरवाज़ा १४४७ लाल दरवाज़ा मस्जिद का निर्माण १४४७ में सुलतान महमूद शार्की के दौर में उनकी पत्नी बीबी राजे ने करवाया और उसे उस दौर के एक सैय्यद आलिम जनाब सयेद अली दाउद कुतुब्बुद्दीन को समर्पित कर दिया | लाला दरवाज़ा इस इलाके का नाम बीबी राजे के महल के गगनचुम्बी दरवाज़े के कारण पड़ा जो सिंदूरी रंग की नक्काशी से संवारा गया था | यह महल आज के लाल दरवाज़ा मस्जिद के उत्तर पश्चिम की तरफ बेगम गंज में पड़ता था जिसका निशाँ आज केवल कुछ खंडहरों के सिवाए कुछ बाकी नहीं है |
सय्यद अली दाऊद एक मसहूर संत थे लाल दरवाज़ा मस्जिद के मदरसे में पढ़ाते थे और उनको बीबी राजे ने चित्रसारी के पास रहने को घर और कुछ गाँव दिए थे | आज यह इलाका जहां सय्यद अली दाऊद रहा करते थे मुहम्मद हसन कॉलेज पे पीछे पड़ता है जिसका नाम आज बी सदल्ली पुर (सय्यद अली पुर) है और यंही पे सय्यद अली दौड़ क़ुतुबुद्दीन साहब की कब्र भी मौजूद है जिसपे कुछ हिन्दू घर चादर और फूल आज भी अकीदत से चढाते हैं |REF: Tajalli e Noor and Ibid
जनाब सय्यद अली दाऊद साहब हजरत मुहम्मद (स.अ.व) की 21 वीं नस्ल थे और बहुत ज्ञानी थे | इनको लाल दरवाज़ा के सामने मुहल्लाह सिपाह गाह में भी रहने का एक घर दिया गया था जिसके निशाँ आज भी मौजूद हैं |
यह घराना जौनपुर में ७०० साल पुराना है जिसे आज लोग अपने समय के मशहूर सय्यद ज़मींदार खान बहादुर ज़ुल्क़द्र के घराने के नाम से जानते हैं | इनके रिश्तेदार पानदरीबा,सिपाह और कजगांव में फैले हुए हैं | लाल दरवाज़े के पास एक मुहल्लाह सिपाह गाह है जिसे बीबी राजे ने बसाया था और वहाँ पे एक विहार और महिलाओ का कॉलेज १४४१ में बनवाया और उसके बाद यह लाल दरवाज़ा मस्जिद बनवाई | वो मदरसा तो आज मौजूद नहीं लेकिन लाल दरवाज़ा मस्जिद और मदरसा ऐ हुसैनिया आज भी मौजूद है |
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