
बात 2009 की है जब मैंने मुंबई से आ के जौनपुर के पत्रकारों को न्यूज़ पोर्टल की अहमियत बताना शुरू किया लेकिन मेरी बातों का असर लोगों पे कम होता था लोगों को लगता मैं कोई अपने फायदे की बात उनको समझा के अपना कोई काम निकलना चाहता हूँ जो आज सब समझ गए की ग़लत था |
ऐसे में राजेश श्रीवास्तव आगे आये और मेरी बात को समझ के बोले मैं चलाऊंगा और शीराज़ ऐ हिन्द के नाम से पोर्टल उनका चलने लगा और जैसे ही उन्हें कामयाबी मिली दूसरे पत्रकारों की भीड़ मेरे पास आने लगी | सबको न्यूज़ पोर्टल चाहिए था | मैं खुश था की चलो लोगों को रूचि तो हुयी न्यूज़ पोर्टल में लेकिन दुःख इस बात का यह हमारा समाज भीड़ चाल का हिस्सा है काश इन्हे न्यूज़ पोर्टल की अहमियत भी समझ में आती और राजेश श्रीवास्तव की तरह उसे समझ के चलाते |
न्यूज़ पोर्टल बनवाने के पीछे हर व्यक्ति की चाहत नाम शोहरत और दौलत की ही अधिक रहती है | समाज को सही ख़बरों से रूबरू करवाने की अहमियत कम हुआ करती है | यही कारण है की आज वो भी न्यूज़ पोर्टल चलाना चाहते हैं या चला रहे है जिन्हे ठीक से लिखने भी नहीं आता |
धीरे धीरे न्यूज़ पोर्टल मशरुम की तरह जौनपुर में दिखने लगे जिनमे से कुछ उनके हैं जिनके पास ख़बरों की समझ है लेकिन अधिकता उनकी है जिन्हे ख़बरों की समझ नहीं उनका काम तो बस सभी जगह से ख़बरों को लेना और छापना है |
सवाल यह उठता है की भाई नाम शोहरत दौलत इज़्ज़त तो हर व्यक्ति चाहता है और न्यूज़ पोर्टल कोई भी चलाय जैसे भी खबरें लाय उसमे नुकसान क्या है ? मुझे क्या आवश्यकता पडी इस विषय पे लेख लिखने की ?
यक़ीनन न्यूज़ पोर्टल जो चाहे चलाय यह उसकी अपनी ज़िम्मेदारी है लेकिन जो चलाय उसे कामयाबी भी मिलनी चाहिए यह भी ज़रूरी है | एक न्यूज़ पोर्टल की कामयाबी के लिए जिन बातों की आवश्यकता है उसपे ज़रा ध्यान दें|
सबसे पहले पाठक चाहता है की उसे सच्ची और वो खबरें पढ़ने को मिले जिसकी सत्यता को न्यूज़ पोर्टल वाले ने परखा हो | ख़बरों की भाषा समझी हुयी हो | शीर्षक ख़बरों से मेल खाता हुआ हो इत्यादि और जो पोर्टल इस बात का विश्वास पाठको को दिला पाते है वे कामयाब होते हैं उनके पास पाठक खुद से चल के आएंगे , उन्हें ख़बरों को कहीं सोशल मीडिया पे शेयर नहीं करना होगा और यदि उनकी ख़बरों का शीर्षक कॉपी पेस्ट नहीं है तो गूगल , बिंग इत्यादि सर्च उसे पकड़ेंगे और पाठक सीधे सर्च इंजन द्वारा आप तक आएगा |
यदि आप ऐसे नहीं कर पाते और कॉपी पेस्ट खबरें और भड़काऊ टाइटल डाल के पोस्ट सोशल मीडिया पे शेयर करके यह समझते हैं की आप न्यूज़ पोर्टल चला पा रहे हैं तो आप धोखे में है | ऐसे न्यूज़ पोर्टल केवल कुछ समय के मेहमान है क्यों की पाठक धीरे धीरे आप के पोर्टल तक आना कम देगा |
उदाहरण के तौर पे बड़े न्यूज़ चैनल की ख़बरो को देखिये | हर चैनल का एक ही खबर को पेश करने का अंदाज़ अलग होता है और हर चैनल हर खबर नहीं डालता जो उसको दूसरे चैनल से अलग एक पहचान दिलाती ही | आपका भी मकसद यह होना चाहिए की आप राष्ट्रीय स्टर पे न्यूज़ पोर्टल चलाय और यक़ीनन यह मक़सद अन्य पोर्टल्स से खबरे निकाल के छापने से तो हल नहीं हो सकता |
इस से बेहतर तरीक़ा यह है की किसी कामयाब पत्रकार के साथ आप उसके न्यूज़ पोर्टल से जुड़ जाएँ और उसका सहयोग करे और उस से सीखते हुए एक ही पोर्टल को दस बीस लोग मिल के चलाएं और जो आमदनी हो उसे आपस में बाँट लें | ऐसा करने से कामयाबी अधिक आसान होगी व्यक्ति का नाम अलग अलग ना भी हो तो क्या नुकसान है |
भीड़ के पीछे चलते हुए भीड़ का हिस्सा बन के खो जाने से बेहतर है अपनी सलाहियत को पहचानते हुए उसी के अनुसार मार्ग चुना जाय | इसमें कामयाबी जल्द और आसानी से मिलेगी |
एस एम् मासूम
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