728x90 AdSpace

This Blog is protected by DMCA.com

DMCA.com for Blogger blogs Copyright: All rights reserved. No part of the hamarajaunpur.com may be reproduced or copied in any form or by any means [graphic, electronic or mechanical, including photocopying, recording, taping or information retrieval systems] or reproduced on any disc, tape, perforated media or other information storage device, etc., without the explicit written permission of the editor. Breach of the condition is liable for legal action. hamarajaunpur.com is a part of "Hamara Jaunpur Social welfare Foundation (Regd) Admin S.M.Masoom
  • Latest

    रविवार, 3 फ़रवरी 2019

    खालिस मुख्लिस मस्जिद में बने रहस्यमयी निशान और प्रतीक क्या बोलते हैं ?

     https://www.youtube.com/user/payameamn/

    जो लोग मुग़ल काल के ऐतिहासिक स्थलों पे आया जाय करते हैं उन्हें पता है की उस दौर में यह चलन था की जब भी कोई कारीगर कुछ भी बनता था तो उसपे एक निशाँ अपनी पहचान का बना दिया करता था जिस से यह पता चल जाता था की इसको बनाने वाला कारीगर कौन है और उसका हुनर क्या है |  आगरा के ताजमहल और फतेहपुर सीकरी में आपको ऐसे निशानात देखने को जगह जगह मिल जाएंगे |  मुग़ल काल के कारीगरों का तो शोधकर्ताओं ने बता दिया लेकिन जब जौनपुर में बने ऐतिहासिक स्थलों को देखा तो दिखाई दिया की शर्क़ी समय में भी ऐसे ही निशानों का इस्तेमाल ऐतिहासिक स्थलों पे किया गया है जिसमे से सबसे ख़ास है पानदरीबा स्थित खालिस मुख्लिस मस्जिद जहां इन निशानों के बारे में मशहूर है कि यह निशाँ किसी छुपे ख़ज़ानों के बारे में बता  रहे हैं जो की सत्य नहीं है | 

    शोधकर्ताओं के अनुसार यह निशाँ किसी भी ऐतिहासिक स्थल पे अगर दिखते हैं तो यह उसका पूरा इतिहास बताते हैं की कहाँ से पथ्थर आया किस कारीगर  ने पेंटिंग की किसने नक्काशी और  किसने जोडा इत्यादि जैसे अगर मछली बनी है तो यह उस कारीगर की निशानी है जिसने पेंटिंग की है | 
    लाल दरवाज़ा मस्जिद पे बने कारीगरों के निशाँ 

    खालिस मुख्लिस मस्जिद  में बने निशान फतेहपर सीकरी में बने निशानों से पूरी तरह से मिलते जुलते हैं जिस से यह अंदाजा लगाया जा सकता है की यह मस्जिद उसी अंदाज़ और तरीके से बनी  है जैसे फतेहपुर सीकरी में मिलता है |  जैसे जौनपुर की किसी भी मस्जिद में चरों दिशाओं में मेहराब नहीं मिलते लेकिन खालिस मुख्लिस मस्जिद में मिलते हैं और यही अंदाज़ फतेहपुर सीकरी की जमा मस्जिद में मिलता है |  

    ये शर्क़ी काल की अकेली ऐसी मस्जिद है जिसकी शिल्पकला अलग क़िस्म की है जिसे मुगलों ने अपनाया | 
    लेखक 
    एस एम् मासूम 
    कॉपीराइट बुक 
    "बोलते पथ्थरों के शहर जौनपुर का इतिहास  " लेखक एस एम मासूम 


     https://www.youtube.com/user/payameamn/ https://www.youtube.com/user/payameamn/

     https://www.youtube.com/user/payameamn
     https://www.indiacare.in/p/sit.html
     Chat With us on whatsapp

     Admin and Founder 
    S.M.Masoom
    Cont:9452060283
    • Blogger Comments
    • Facebook Comments

    0 comments:

    एक टिप्पणी भेजें

    हमारा जौनपुर में आपके सुझाव का स्वागत है | सुझाव दे के अपने वतन जौनपुर को विश्वपटल पे उसका सही स्थान दिलाने में हमारी मदद करें |
    संचालक
    एस एम् मासूम

    Item Reviewed: खालिस मुख्लिस मस्जिद में बने रहस्यमयी निशान और प्रतीक क्या बोलते हैं ? Rating: 5 Reviewed By: S.M.Masoom
    Scroll to Top