जौनपुर शहर, दक्षिणी-पूर्वी उत्तर प्रदेश राज्य, उत्तर-मध्य भारत, वाराणसी (भूतपूर्व बनारस) के पश्चिमोत्तर में स्थित है। यह शहर गोमती नदी के दोनों तरफ़ फैला हुआ है। आज के जौनपुर को देख के ऐसा लगता है कि जैसे कोई छोटा सा शहर है जो बहुत ही धीमी गति से तरक्की की और बढ़ रहा है | जौनपुर का शाही क़िला , अटाला मस्जिद ,जामा मस्जिद, लाल दरवाज़ा, खालिस मुखलिस मस्जिद, किले ,मकबरे और पुराना हनुमान मंदिर आज भी यहाँ की शोभा में चार-चाँद लगा रहे हैं। भारतीय इतिहास के मध्यकालीन भारत में जौनपुर अपनी कला एवं स्थापत्य के लिए दूर-दूर तक प्रसिद्ध था। आज भी इत्र और चमेली के तेल का व्यवसाय यहाँ बड़े पैमाने पर होता है। जौनपुर का मक्का ,मूली ,चमेली का तेल, इत्र और इमरती आज भी मशहूर है |
यह नगर गोमती नदी के किनारे बसा हुआ है। प्राचीन किंवदंती के अनुसार जमदग्नि ऋषि के नाम पर इस नगर का नामकरण हुआ था। जमदग्नि का एक मंदिर यहाँ आज भी स्थित है। यह भी कहा जाता है कि इस नगर की नींव 14वीं शती में 'जूना ख़ाँ' ने डाली थी, जो बाद में मुहम्मद तुग़लक़ के नाम से प्रसिद्ध हुआ और दिल्ली का सुल्तान हुआ। जौनपुर का प्राचीन नाम 'यवनपुर' भी बताया जाता है। 1397 ई. में जौनपुर के सूबेदार ख़्वाजा जहान ने दिल्ली के सुल्तान मुहम्मद तुग़लक़ की अधीनता को ठुकराकर अपनी स्वाधीनता की घोषणा कर दी और शर्की नामक एक नए राजवंश की स्थापना की। जौनपुर एक शतक तक शर्क्की राज्य की राजधानी रहा है |इस दौरान शर्की सुल्तानों ने जौनपुर में कई सुन्दर भवन, एक क़िला, मक़बरा तथा मस्जिदें बनवाईं।
आज भी जौनपुर की सुन्दरता इसके किले,गोमती,शाही पुल और भव्य मकबरों, पुरानी मस्जिदों और मंदिरों के कारण देखती ही बनती है | पर्यटकों के लिए जौनपुर एक बहुत ही बेहतरीन पर्यटन स्थल है बस आवश्यकता है यहाँ पे पर्यटकों के लिए सहूलियतें पैदा करने की |
जौनपुर में एक समय ऐसा भी था की यहाँ ज्ञान का समुदर बहा करता था | विश्व भर से लोग यहाँ ज्ञान हासिल करने आया करते थे | आज भी यहाँ के लोगों को ज्ञान हासिल करने में बहुत ही अधिक रूचि रहती है | एक से एक शायर ,लेखक और इतिहासकार मौजूद हैं | हाँ यह बात और है की उनके इस ज्ञान का फायदा विशव् के दुसरे लोगों को नहीं मिला पता और इसका कारन यहाँ के अधिकतर लोगों का अपनी बात को विश्व भर में फैलाने का साधन का न मिलना है | जौनपुर सिटी ने अपने इस प्लेटफार्म से ऐसी प्रतिभाओं को विश्व भर में पहुँचाने का काम किया है |
आज यह देख के प्रसन्नता होती है की आज यहाँ बड़े बड़े बैंक और शोपिंग मॉल खुल गए हैं | एक बड़े शहर में जो भी सुविधाएं हुआ करती है वो सब धीरे धीरे आती जा रही हैं | बस आवश्यकता है यहाँ के लोगों को अपनी सोंच बदलने की और जौनपुर के बाहर विश्व से जुड़ने की | तारे तोड़ने की कोशिश करोगे तो तारा अगर न भी तोडा तो चाँद अवश्य तोड़ लोगे |
जौनपुर जो “शिराज़-ए-हिंद“ के नाम से भी मशहूर हैं, भारत के उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख शहर एवं लोकसभा क्षेत्र है। मध्यकाल में शर्की शासकों की राजधानी रहा जौनपुर वाराणसी (भूतपूर्व बनारस) से 58 किमी. दूर है और यह गोमती नदी के दोनों तरफ़ फैला हुआ है |1394 के आसपास मलिक सरवर ने जौनपुर को शर्की साम्राज्य के रूप में स्थापित किया और यह शर्क़ी वंश (1394-1479) के स्वतंत्र राज्य की राजधानी भी रहा है| इब्राहीम लोदी ने १४८४ में जौनपुर पे क़ब्ज़ा कर के इसी खंडहरों में बदल दिया जिसके नमूने आज भी जौनपुर में देखे जा सकते हैं | आज का जौनपुर अब तरक्की के और बढ़ रहा है लेकिन आज भी यहाँ कि सबसे बड़ी समस्या बिजली का दिन में १६ घंटे घायब रहना, प्रदूषित पीने का पानी और सड़कों कि बुरी हालत है | बिजली का न होना यहाँ कि तरक्की में सबसे बड़ी बाधा है | नेता आते हैं इलेक्शन के दौरान बिजली देने का वादा करते हैं जीत भी जाते हैं और सुधार नहीं होता | यहाँ के निवासी बस एक उम्मीद लगाये बैठे हैं कि कोई तो आएगा जो यहाँ कि हालत में सुधार करेगा? आज का युग पढ़े लिखे नौजवानों का है और यह नेताओं के फरेब अब बहुत दिन नहीं चलने वाले ऐसा यहाँ के नौजवानों से बात चीत कर के लगता है | चलिए आज के जौनपुर कि कुछ झलकियाँ देखते चलें |
ओलन्दगंज फलों कि बहार जौनपुर कि मशहूर इमरती चित्रसारी के सरसों के खेत जेसीज चौराहा
जाफराबाद पान कि दूकान मुगफली सर्दियों कि शान गोमती का किनारा और स्नान राजा जौनपुर का महल चित्रसरी के खंडहर खुछ ख़ास नज़ारे
राजा जौनपुर के महल को देखने की उत्सुकता बढ़ गई है
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