जौनपुर, भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक जिला है। जिले का मुख्यालय जौनपुर है। मध्यकाल में शर्की शासकों की राजधानी रहा जौनपुर, वाराणसी से 58 कि. मी. दूर है। जौनपुर शहर गोमती नदी के दोनों तरफ फैला हुआ है। इस शहर की स्थापना 14वीं शताब्दी में फिरोज तुगलक ने अपने चचेरे भाई सुल्तान मुहम्मद की याद में की थी। सुल्तान मुहम्मद का वास्तविक नाम जौना खां था। इसी कारण इस शहर का नाम जौनपुर रखा गया। 1394 के आसपास मलिक सरवर ने जौनपुर को शर्की साम्राज्य के रूप में स्थापित किया। शर्की शासक कला प्रेमी थे। उनके काल में यहां अनेक मकबरों, मस्जिदों और मदरसों का निर्माण किया गया।
गोमती उत्तर भारत मे बहने वाली नदी है जिसका उदगम पीलीभीत जिले मे माधोटान्डा के पास होता है। इसका बहाव उत्तर प्रदेश मे ९०० किमी तक है। यह वाराणसी के निकट सैदपुर के पास गंगा में मिल जाती है I पुराणों के अनुसार गोमती ब्रह्मर्षि वशिष्ठ की पुत्री है| लखनऊ, लखीमपुर खेरी, सुल्तानपुर और जौनपुर शहर गोमती के किनारे पर स्थित हैं |
जौनपुर शहर के पास गोमती नदी कि सुंदरता देखते ही बनती है जो अब प्रदूषण के करण समाप्त होती जा रही है |
आईटीआरसी के शोधपत्र के मुताबिक चीनी मिलों और शराब के कारखानों के कचरे के कारण यह नदी प्रदूषित हो चुकी है। गोमती में जो कुछ पहुंचता है वह पानी नहीं बल्कि औद्योगिक कचरा होता है।सरकार भी मानती है कि गोमती में प्रदूषण का स्तर बढ़ा | .. द टाइम्स औफ़ इण्डिया, 2010-01-28
गोमती नदी में जलजीवों की संख्या तेजी से घट रही है। आकलन के मुताबिक 1950 की तुलना में मछलियों की संख्या एक तिहाई से भी कम हो गई है। वहीं कछुवे विलुप्त होने के कगार पर हैं। तटवासियों के अनुसार कछुवे की संख्या 1950 की तुलना में मात्र 10 प्रतिशत रह गई है।
गोमती नदी में सोइंस, मगर, लगभग गायब हो गए हैं। मछलियों की पुरानी प्रजातियां जैसे रोहू, भाकूर, नयन, पहिना, टेंगर, बलगेगरा, चेलवां, गोच, सधरी, बैकड़ इत्यादि की संख्या तेजी से घटी है, जबकि नई प्रजातियां यथा तेलपियां, सिल्वरकार्प, मांगुर, सौरी, की संख्या बढ़ी है, जिससे पुरानी प्रजातियों के अस्तित्व को खतरा पैदा हो गया है।
सुलतानपुर नगर की कहानी जौनपुर से बहुत अलग नहीं है वहां अन्तर केवल इतना है कि वहां मल जल नाले के पानी के लिए पम्पिंग स्टेशन बने हैं, परंतु वे चलते नहीं है।इसी प्रकार लखनऊ नगर में भी आदि गंगा-गोमती कराह रही है। यहां की कहानी जौनपुर और सुलतानपुर से बहुत अलग नहीं है। भले ही यह राजधानी है, लेकिन यहां पर भी मल, जल, नाले सीधे नदी में मिल रहे हैं|
गोमती उत्तर भारत मे बहने वाली नदी है जिसका उदगम पीलीभीत जिले मे माधोटान्डा के पास होता है। इसका बहाव उत्तर प्रदेश मे ९०० किमी तक है। यह वाराणसी के निकट सैदपुर के पास गंगा में मिल जाती है I पुराणों के अनुसार गोमती ब्रह्मर्षि वशिष्ठ की पुत्री है| लखनऊ, लखीमपुर खेरी, सुल्तानपुर और जौनपुर शहर गोमती के किनारे पर स्थित हैं |
जौनपुर शहर के पास गोमती नदी कि सुंदरता देखते ही बनती है जो अब प्रदूषण के करण समाप्त होती जा रही है |
आईटीआरसी के शोधपत्र के मुताबिक चीनी मिलों और शराब के कारखानों के कचरे के कारण यह नदी प्रदूषित हो चुकी है। गोमती में जो कुछ पहुंचता है वह पानी नहीं बल्कि औद्योगिक कचरा होता है।सरकार भी मानती है कि गोमती में प्रदूषण का स्तर बढ़ा | .. द टाइम्स औफ़ इण्डिया, 2010-01-28
गोमती नदी में जलजीवों की संख्या तेजी से घट रही है। आकलन के मुताबिक 1950 की तुलना में मछलियों की संख्या एक तिहाई से भी कम हो गई है। वहीं कछुवे विलुप्त होने के कगार पर हैं। तटवासियों के अनुसार कछुवे की संख्या 1950 की तुलना में मात्र 10 प्रतिशत रह गई है।
गोमती नदी में सोइंस, मगर, लगभग गायब हो गए हैं। मछलियों की पुरानी प्रजातियां जैसे रोहू, भाकूर, नयन, पहिना, टेंगर, बलगेगरा, चेलवां, गोच, सधरी, बैकड़ इत्यादि की संख्या तेजी से घटी है, जबकि नई प्रजातियां यथा तेलपियां, सिल्वरकार्प, मांगुर, सौरी, की संख्या बढ़ी है, जिससे पुरानी प्रजातियों के अस्तित्व को खतरा पैदा हो गया है।
सुलतानपुर नगर की कहानी जौनपुर से बहुत अलग नहीं है वहां अन्तर केवल इतना है कि वहां मल जल नाले के पानी के लिए पम्पिंग स्टेशन बने हैं, परंतु वे चलते नहीं है।इसी प्रकार लखनऊ नगर में भी आदि गंगा-गोमती कराह रही है। यहां की कहानी जौनपुर और सुलतानपुर से बहुत अलग नहीं है। भले ही यह राजधानी है, लेकिन यहां पर भी मल, जल, नाले सीधे नदी में मिल रहे हैं|
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