चलो रे डोली उठाओं कहार पिया मिलन की ऋतु आयी। अब ये गाने और डोली, सिनेमा और किताबों में ही दिखाई पड़ती हैं। तेजी से बदलते जमाने ने जहां हमारी संस्कृति पर कुठाराघात किया है वही प्राचीन परम्परा को किस्से कहानियां और इतिहास के पन्नो पर पहंुचा दिया हैं। इसी में से एक हैं डोली और कहार। तीन दषक पूर्व तक वैवाहिक जीवन में प्रवेष करने के लिए दूल्हे डोली में सवार होकर जाते थे और शादी की रस्म पूरी होने के बाद दूल्हन उसी डोली में बिदा होकर ससुराल आती थी। डोली को लेकर न जाने कितने ही गीत में बनाए गए। दिखाए गए। डोली जिसपर बैठ कभी हर दुल्हन अपने पिया के घर पहली बार आती थी। इतिहासकारों का कहना है कि डोलियों का रिवाज मुगलकाल से चलन में आया पर इससे पहले ही रामायण मंे इसका जिक्र आता है। रामायण में कहा गया है कि जब त्रेतायुग में भगवान राम ने षिव का धनुष तोड़ जनकनंदनी सीता से विवाह रचाया तो सीता मइया डोली में बैठकर ही अयोध्या गयी थी।लेकिन इस आधुनिकता के बदलते दौर में दूल्हे के जोड़े जामे की जगह सूट और शेरवानी ने ले लिया और डोली की जगह लग्जरी गाडि़यों ने ले लिया है। ऐसी स्थिति में अब डोलियां इतिहास के पन्नो पर पहुंच गयी और कहार रोजी रोटी की जुगाड़ में महानगरों का रास्ता पकड़ लिया हैं।
डोलियाँ इतिहास के पन्नो से
चलो रे डोली उठाओं कहार पिया मिलन की ऋतु आयी। अब ये गाने और डोली, सिनेमा और किताबों में ही दिखाई पड़ती हैं। तेजी से बदलते जमाने ने जहां हमारी संस्कृति पर कुठाराघात किया है वही प्राचीन परम्परा को किस्से कहानियां और इतिहास के पन्नो पर पहंुचा दिया हैं। इसी में से एक हैं डोली और कहार। तीन दषक पूर्व तक वैवाहिक जीवन में प्रवेष करने के लिए दूल्हे डोली में सवार होकर जाते थे और शादी की रस्म पूरी होने के बाद दूल्हन उसी डोली में बिदा होकर ससुराल आती थी। डोली को लेकर न जाने कितने ही गीत में बनाए गए। दिखाए गए। डोली जिसपर बैठ कभी हर दुल्हन अपने पिया के घर पहली बार आती थी। इतिहासकारों का कहना है कि डोलियों का रिवाज मुगलकाल से चलन में आया पर इससे पहले ही रामायण मंे इसका जिक्र आता है। रामायण में कहा गया है कि जब त्रेतायुग में भगवान राम ने षिव का धनुष तोड़ जनकनंदनी सीता से विवाह रचाया तो सीता मइया डोली में बैठकर ही अयोध्या गयी थी।लेकिन इस आधुनिकता के बदलते दौर में दूल्हे के जोड़े जामे की जगह सूट और शेरवानी ने ले लिया और डोली की जगह लग्जरी गाडि़यों ने ले लिया है। ऐसी स्थिति में अब डोलियां इतिहास के पन्नो पर पहुंच गयी और कहार रोजी रोटी की जुगाड़ में महानगरों का रास्ता पकड़ लिया हैं।
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