प्रेमराज पूर का वो इलाक़ा जहा बदीय मंझिल बनी थी । |
जौनपुर को शार्क़ी बाद्शाहो ने बसाया और सुंदर बनाया लेकिन सिकंदर लोधी ने बरबाद कर दिया । चलिये आज इस बात पे प्रकाश डालते है की सिकंदर लोधी कौन था और उसने जौनपुर को क्यू बरबाद किया ? बहलोल लोधी ने १४८६ ई ० मे अपने पुत्र बारबक शाह को जौनपुर का शासक बना दिया और खुद काल्पी चला गया उस समय तक बहलोल लोधी ने पूरे शार्क़ी राज्य पे क़ब्जा कर लिया था । बहलोल लोधी की मृत्यू १४८८ ई ० मी हो गयी और एक वर्ष बाद सिकंदर लोधी दिल्ली का बादशाह हो गया ।
इधर शार्क़ी राज्य मे हुसैन शाह की बहलोल लोधी से हार के बाद बडी उधल पुथल मची थी और हुसैन शाह अभी भी अपनी खोई हुई शक्ति को हासिल करने की कोशिश कर रहा था । एक दिन सिकंदर लोधी को खबर मिली की जौनपुर मे बगावत हो गयी है और बारबक शाह भाग के बहराइच मे शरण ली है सिकंदर लोधी ने जैसे ही यह सुना तुरंत जौनपुर की तरफ चाल पडा और गुस्सा इतना था की निकलते समय नाश्ता भी नही किया और दिल्ली से दस दिन के भीतर ही जा पहुचा ।
उसने जगह जगह तलाश के हुसैन शाह को पराजित किया और जौनपुर का शासक फिर से बर्बक शाह को बना दिया लेकिन इस बार वो जौनपुर मे ६ महीने ठहरा और अपना सारा गुस्सा जो हुसैन शाह के कारण था शार्क़ी समय के बने सुंदर महलो और मस्जिद पे निकाला दिया । और यही से शुरू हुई जौनपुर की बरबादी की कहानी । सिकंदर लोधी ने जिन भवनो को नष्ट किया या नुक़्सान पहुचाया उन्मे से मुख्य है । लाल दरवाजा,राजे बीबी का महल ,प्रेमराज पूर की बदीय मंजिल, रोशन महल,और बहुत से शाही महलो को खतम कर दिया लेकिन उसके बाद उसने यहा की शार्क़ी समय की बनी मस्जिद को हाथ लगाया और खालीस मुखलीस मस्जिद को तोडा, झान्झरी मस्जिद तोडी लेकिन जैसे ही बडी मस्जिद पे हाथ लगाया तब तक मुसलमानो ने विद्रोह कर दिया और सिकंदर लोधी के खिलाफ फतवा जारी कर दिया गया जिसके बाद उसने तोड फोड बंद की और वापस दिल्ली चला गया
जौनपुर को एक पहचान मिली थी शार्क़ी समय मे और यह शार्क़ी राज्य की राजधानी एक शतक तक रहा लेकिन सिकंदर लोधी ने इसे जो बरबाद किया तो फिर यह आज तक नही बस सका । ।
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