अभी दो दिन पहले जौनपुर लाईनबाजार थाना क्षेत्र के पचहटिया के पास सेंट पैक्ट्रिक स्कूल की बच्चों से भरी बस पलट गयी जिसमे ख़बरों के अनुसार बहुत से बच्चे घायल हुए औरकुछ की हालत गंभीरहै | घायल 40 बच्चों में से पांच की हालत खराब को देखते हुए परिवार वालों ने जिला अस्पताल से रेफर कराकर प्राईट अस्पताल ले गये है जिसमें दो बच्चों के माता पिता वाराणसी ले जाकर इलाज करा रहे है। गम्भीर रूप से घायलों में टीडी कालेज के चैकी प्रभारी विकास पाण्डेय का पुत्र आर्दश पाण्डे का हाथ की टूट गया है और सिर में गम्भीर चोट आयी है पूर्व सांसद धनंजय सिंह के करीबी नवीन सिंह का 9 वर्षिय पुत्र आदित्य सिंह को कई जगह गम्भीर चोट आयी है। इनके अलावा अन्नया 12 वर्ष उत्कर्ष श्रीवास्तव और श्रद्वा जयसवाल की हालत को गम्भीर देखते हुए उनके अभिभावनक वाराणसी ले जाकर अलग अस्पतालों में इलाज करा रहे है।
करीब दो बजे सेट पैक्ट्रिक स्कूल की छुट्टी होने के बाद स्कूल की बस यूपी 62 टी 1069 करीब चालिस बच्चों को घर पहुंचाने के लिए निकली थी अभी वह चंद्र कदम ही चल पायी थी कि सिपाह रेलवे क्रासिंग के पास ओवर टेक करने के चक्कर में अनियंत्रित होकर गहरे खाई में जा गिरी। बस खाई में पलटने से बच्चों की चिख पुकार पूरे इलाके में सुनाई देने लगी। आनन फानन में स्थानीय नागरिक राहगीर और स्कूल प्रशासन के लोग बच्चों को बाहर निकालकर जिला अस्पताल पहुंचाया।
बस हादसे के बाद घटनास्थल पर पहुंचे अभिभावकों में स्कूल प्रबंधन के खिलाफ जमकर उबाल दिखा। उनका आरोप था कि शासन के सख्त निर्देश व शिकायत के बाद भी मानक के अनुसार वाहनों का संचालन नहीं किया जा रहा है।कमिश्नर के आदेश पर जिलाधिकारी ने विद्यालय संचालकों की बैठक कर मानक के अनुसार वाहनों के संचालन का निर्देश दिया था। हिदायत दी थी कि यदि लापरवाही बरती गई तो अभियान चलाकर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। शासन के निर्देश व जिला प्रशासन के हिदायत को दरकिनार कर डग्गामार वाहनों का संचालन निर्बाध जारी है। एक पखवारे पूर्व अभिभावकों ने भी सेंट पैट्रिक स्कूल के सामने प्रदर्शन किया था लेकिन सुधार नहीं हुआ।
शनिवार को हुई घटना की सूचना पर पहुंचे सैकड़ों अभिभावकों का कहना था कि बस में क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाया गया था। प्राथमिक उपचार, सीट बेल्ट, हैंडरेस्ट सीट, जाली, यातायात नियमों के विशेषज्ञ को कौन कहे चालक- खलासी भी घटना के बाद पलायन कर गए।अभिभावकों में इस बात को लेकर आक्रोश है कि जिले की अधिकांश स्कूली वाहनों के संचालन में मानक की अनदेखी की जा रही है। सख्त आदेश के बाद भी जिम्मेदार अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
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