जौनपुर. वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग द्वारा सापों के प्रति फैले अन्धविश्वास एवं अवैज्ञानिकता के उन्मूलन के लिए विद्यार्थियों के बीच जनजागरूकता के लिए कार्यक्रम का आयोजन संकाय भवन में किया गया.इस अवसर पर सर्प विशेषज्ञ नौपेडवा बाजार निवासी मुरारी लाल ने इस क्षेत्र में पाए जाने वाले जहरीले सांप करैत और कोबरा का प्रदर्शन किया.
जंतु विज्ञानी डॉ वंदना राय ने विद्यार्थियों को बताया कि भारत के मैदानी भागों में मुख्यतः चार प्रकार के जहरीलें सर्प किंग कोबरा, करैत , कोबरा और वाइपर पाए जाते है.वर्ष में अप्रैल से लेकर वर्षा ऋतु सितम्बर तक सापों का प्रजनन काल होता है ऐसे में सर्प स्वभाव से ही उग्र हो जाते है. हमारी जरा सी असावधानी हमें संकट में डाल सकती है.सर्प दंश पीड़ित को सदैव भरोसा दे कि खतरे की कोई बात नहीं है.सर्प दंश पीड़ित को भाग दौड़ से बचाना चाहिए एवं चिकित्सक के पास जाकर एंटी स्नेक वेनम सीरम इंजेक्शन लगवाना चाहिए.
जनसंचार विभाग के प्राध्यापक डॉ मनोज मिश्र ने कहा कि हमारे समाज में सापों को लेकर बहुत कपोल – कल्पित भ्रांतियां है.मसलन सांप दूध पीते है, शहनाई और बीन की धुनपर नाचते है, सांप मणिधारी होते है,सिरपर बाल होते है और पांच फन वाले सांप भी होते है.
सर्प विशेषज्ञ नौपेडवा बाजार निवासी मुरारी लाल ने इस क्षेत्र में पाए जाने वाले जहरीले सांप करैत और कोबरा का प्रदर्शन करते हुए विद्यार्थियों को उनकी पहचान कराई.उन्होंने कहा कि सर्प दंश होने पर ओझा, सोखा, जड़ी बूटी एवं किसी अन्य अंधविश्वास में न पड़कर इन जहरीले सापों के काटने पर प्राथमिक उपचार कर तत्काल चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए.उन्होंने कहा कि गाँव के लोग खेतों में घास या खेती का काम करते समय, घर की महिलाएं उपली लेते समय एवं अनाज निकालते समय सतर्क होकर काम करें. संध्या काल में तालाबों और जल स्रोतों के पास सावधानी बरतनी चाहिए.
विभागाध्यक्ष डॉ अजय प्रताप सिंह नें सर्प विशेषज्ञ मुरारी लाल से इस अभियान को जारी रखने की अपील की और कहा कि जागरूकता से ही सर्पदंश से होने वाली मौतों को रोका जा सकता है .
कार्यक्रम का संयोजन डॉ दिग्विजय सिंह राठौर नें किया .इस अवसर पर डॉ सुनील कुमार ,डॉ रुश्दा आजमी ,आनंद सिंह समेत विभिन्न संकाय के विद्यार्थी मौजूद रहे|
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