जोगी बाबा आये हैं रे कक्का के हियाँ सिरिंगी बजा रहे ।
तौन आया है अम्मा ? मुन्नू पूछता है। जोदी आया है, हमता तहूँ धुछाय दे ए आजी। जोदिया झोली में भलि के हमते उथाय ले जाई। छोटा मुन्नू अपनी दादी की गोद में घुट्टी मुट्टी मार के छुप जाता है।
सारंगी के स्वर ऊंचे होते जा रहे।
सीता सोचईं अपने मनवा
मुंदरी कहँवा से गिरी
रीईं रीईं रीईं रीईं
मुंदरी कहँवा से गिरी
मुंदरी कहँवा से गिरी
रीईं रीईं रीईं रीईं
कक्का के दुवारे भीड़ लगी है। औरतें जोगी से भभूत मांग रही तो बच्चों में भय मिश्रित कौतूहल है। कक्का बोले , अरे सिधा पिसान लेई आउ रे !
जोगी ने अपनी बड़ी बड़ी लाल आँखे खोली पगड़ी ठीक करते हुए एक तरफ का होंठ बिचुका के बोला " हम गुदरी लेबे मिसिर " आसमान देखते हुये जोगी हुचक हुचक सारंगी बजाते हुए गाने लगता है।
माई मोर गुदरिया रे भईले
जोगी गोपीचंद हो
रीईं रीईं रीईं रीईं
हमरे बुढ़इया के मोर बेटवा
तू त जोगी गोपीचंद हो
रीईं रीईं रीईं रीईं
तोहरे बुढ़इया के दूसर बेटवा
हम तो जोगी गोपीचंद हो।
रीईं रीईं रीईं रीईं
लावा मिसिराइन गुदरी।
औरतों में खुसुर फुसुर। जा रे बड़की कउनो पुरान धुरान लूगा उठाय ला। बिना गुदरी लिहे माने ना ई नदिग्गाड़ा। दो तीन पुरानी साड़ियां जोगी के सामने पटक दी जाती हैं।
ऐ का मिसिर ? सोक्खे सोक्खे।
कक्का बोले " मुन्नू के माई अई जा बीस आना ले आवा " घूँघट के अंदर से भुनभुनाते मुन्नू की अम्मा बीस आने लाकर जोगी के कटोरे में दाल देती है। टन्न टन्न।
जोगी ने अपने बड़े से झोले में धोतियाँ डाली एक जेब में पईसे। सब समेट समाट कर जैसे ही वह उठने को हुआ भीड़ से एक ढीठ बच्चे ने कहा हे जोगी माठा पियाय दा।
जोगी मुसकाया और सारंगी उठायी
हे सिरिंगी
रें रीं
माठा पीबू
रां रां रीं रुं
केतना
रें र रां
दुई लोटा
रुं रां रां
बच्चे तालियां बजाने लगते हैं जोगी दूसरा घर देखता है।
......डॉ पवन विजय
......डॉ पवन विजय
गांव में खूब जोगी आते थे तब उनका बहुत आदर सत्कार देखते थे हम बचपन में .. गर्मियों में लोग जिनके घर गाय भैंस होती थी वे मठ्ठा जरूर पिलाते थे उन्हें
जवाब देंहटाएंजोगी माठा पियाय दा। .... बहुत बढ़िया