जौनपुर सिटी -हमारा जौनपुर के संचालक ,लखनऊ ब्लॉगर अस्सोसिअशन के उपाध्यक्ष और जौनपुर ब्लॉगर अस्सोसिअशन के संयोजक , सोशल मीडिया के गहरे जानकार श्री एस एम् मासूम जी से कुछ सवाल और उनके जवाबात |--सलीम खान ( अध्यक्ष लखनऊ ब्लॉगर अस्सोसिअशन) ( Interview taken 2011)
सवाल-1 सलीम खान --अपने बारे में कुछ बताएं, मसलन बचपन, पढाई और किशोरावस्था के बारे में?
जवाब एस एम् मासूम :-मेरा जन्म उत्तेर प्रदेश के जौनपुर शहर मैं २६ अगस्त १९६१ को जौनपुर के मशहूर ज़मींदार ज़ुल्क़दर बहादुर नासिर अली के परिवार मैं हुआ | पिताजी रेलवे मैं इंजीनिअर थे और लिखने पढने मैं बहुत रूचि रखते थे. बचपन मज़े मैं बीता, पढना लिखना और समाज सेवा करना इसी मैं समय गुज़र जाता था | मैं ना तो कोई साहित्यकार हूँ और ना ही बनना चाहता हूँ. बस सामाजिक सरोकारों से जुड़ के समाज के लिए कुछ करता रहता हूँ | यही कारण है कि इस ब्लोगिंग मैं भी शोहरत के सस्ते हथकंडों से दूर रहता हूँ और ज़मीनी स्तर पे काम करने मैं अधिक रूचि रखता हूँ|
सवाल -2 आप ने अपनी शिक्षा कहाँ से प्राप्त कि?
मैंने अपना पढ़ाई का ज़माना लखनऊ और वाराणसी मैं गुज़ारा और विज्ञानं से स्नातक कि डिग्री लखनऊ विश्वविद्यालय से ली, कंप्यूटर,इन्टरनेट,वेबसाइट,हार्डवेयर ,सॉफ्टवेयर, इत्यादि का ज्ञान स्वम प्राप्त किया|
सवाल-3--आपका व्यवसाय क्या है?
मैं बैंक में मेनेजर था २७ वर्ष काम करने के बाद इस नौकरी से मन ऊब गया और खुद का बिज़नस शुरू कर दिया | पत्रकारिता और सोशल मीडिया से भी जुड़ा हूँ लेकिन इसका इस्तेमाल सामाजिक सरोकारों से जुड़ के समाज की उन्नति के लिए करता हूँ |
सवाल--4-बचपन का कोई ऐसा क़िस्सा जो आज भी आपने ज़ेहन में कौंधता रहता है?
जी हाँ एक दोस्त कि याद नहीं जाती दिल से. मैं उस समय नवी मैं लखनऊ के जुबली कॉलेज मैं था और मेरा एक मित्र था पंकज रस्तोगी. हम दोनों फिल्म देखने गए रंगीला रतन . मध्यांतर मैं हम दोनों बाहर आये एक फ़कीर ने पैसा माँगा दुआ के साथ कि तुम्हारा भविष्य उज्जवल हो , पंकज के कहा अरे जाओ भाई कल किसने देखा है. हम यह शो ३-६ देख रहे थे. शो ख़त्म होने के बाद हम अपने अपने घर आ गए|
रात मैं खबर आयी कि पंकज घर कि छत से गिर गया और अस्पताल मैं है. सुबह पंकज के घर वाले मेरे पास आये क्योंकि पंकज बेहोशी मैं मेरा नाम ले के पुकार रहा था, मैं ११ बजे उसके पास गया जैसे ही उसने मुझे देखा एक बार मुस्कराया और दम तोड़ दिया.यह बात मुझे कभी नहीं भूलती. और यह भी कि फ़कीर को वापस ना लौटाओ और ना दो तो कोई उलटी बात ना बोलो|
सवाल-5--आप कई वर्षों से लिख रहे हैं, लेखन सम्बन्धी कोई ऐसा वाकिया जो भुलाये न भूलता हो, बताईये?
जैसा मैंने पहले भी कहा कि मैं कोई साहित्यकार नहीं. अंग्रेजी ब्लोगिंग मैं १० वर्षों से काम कर रहा हूँ २०१० मैं हिंदी ब्लोगिंग मैं क़दम रखा है. अभी भी हिंदी ब्लॉगर कि ज़हनियत को समझने कि कोशिश कर रहा हूँ|
सवाल—6 -ब्लॉगर कैसे बने ? आप ब्लॉग-लेखन कब से कर रहे हैं और क्यूँ कर कर रहे हैं?
अंग्रेजी मैं ब्लोगिंग तो मैं पिछले १०-१२ साल से कर रहा हूँ. हिंदी ब्लॉग जगत में मुझे इस्मत जैदी साहिबा २०१० में लाई और तभी से दोनों ब्लॉग जगत में काम कर रहा हूँ| मैंने ैंअमंका पैगाम नामक ब्लॉग बनाया जिसे पूरी दुनिया के ब्लॉग जगत का सहयग मिला और आज भी मैं अपने ब्लॉग एस एममासूम डॉट कॉम से ही इंसानियत और एकता के लिए काम करता हूँ. अभी मुझे अपने वतन का क़र्ज़ भी उतारना है और अब उसी के लिए सक्रिय हूँ. जौनपुर ब्लॉगर असोसिअशन बनाया और हिंदी और अंग्रेजी मैं जौनपुर की पहली ऐतिहासिक वेबसाइट बनायी | मैं डॉ मनोज मिश्रा , डॉ पवन मिश्र जैसे जौनपुर के ब्लॉगर भाइयों का उनके सहयोग के लिए आभारी हूँ |
सवाल—7 -वर्तमान हिन्दी ब्लॉग-जगत में सामूहिक ब्लॉग की कितनी महत्ता है?
साझा ब्लॉग की महत्ता तो बहुत है लेकिन केवल उन्हीको जोड़ना चाहिए जो ब्लॉग मैं रूचि रखते हों और ब्लॉग को समय दे सकें| साझा ब्लॉग हम वतनो को, या एक विचार वालों को एक साथ जोड़ता है. इस से अधिक और क्या चाहिए?
सवाल—8 -किन्ही ५ ब्लॉगर का नाम बताईये जिनसे आप प्रभावित हुए बिना नहीं रहे ?
वैसे तो कई हैं इस ब्लॉगजगत मैं जिनसे मैं बहुत ही अधिक प्रभावित हूँ लेकिन आप 5 नाम मांगे हैं तो मैं डॉ मनोज मिश्रा जी का नाम सबसे पहले लूँगा. एक सुलझा हुआ इंसान जिसने चुप चाप अपने वतन के लिए बहुत काम केवल अपने ब्लॉग से किया. दूसरा नाम जनाब जीशान जैदी का है , यह भी विज्ञानं के छेत्र मैं चुपचाप अपना काम किया करते हैं और तीसरा नाम है हमारे कवि मित्र कुंवर कुसुमेश जी का ,जिनकी तारीफ शब्दों मैं बयान नहीं कि जा सकती ,चौथा नाम है डॉ पवन मिश्रा जी का ,गहराई मैं जाकर किसी भी विषय पे लिखते है और बेहतरीन लिखते हैं. पांचवां नाम है असद जाफर साहब का , बेहतरीन लेखनी और उच्च विचार. यहाँ यह भी कहता चलूँ ऐसे मेरी लिस्ट मैं २०-२१ ब्लॉगर हैं और २ तो ऐसे हैं जिनसे मेरे विचार नहीं मिलते लेकिन उनकी लेखनी कि धार का मैं कायल हूँ|
सवाल—9 -अपने व्यक्तिगत ब्लॉग में लेखन का मुख्य विषय / मुद्दा क्या है?
मेरे व्यक्तिगत ब्लॉग का मुख्य विषय सामाजिक सरोकार और विश्व में अमन और शांति के लिए काम करना है और मैं सामाजिक सरोकारों पे ही लिखता हूँ. भ्रष्ट समाज को बदलने कि कोशिश करता हूँ बस|
सवाल—10 -आप कि नज़र मैं बड़ा ब्लॉगर कौन है?
बड़ा ब्लॉगर वही है जो शोहरत से , गन्दी राजनीती से दूर हट के समाज के लिए कुछ काम अपनी लेखनी का इस्तेमाल करते हुए कर रहा है|
सवाल--11-आज कल बड़े बड़े उत्सव, महोत्सव , ब्लॉगर मीट हुआ करती हैं, इनाम बांटे जाते हैं. सब अपना अपना देखते हैं. आप को कैसा लगता है?
हर इंसान को यह अधिकार है कि वो कहीं भी कोई भी मीटिंग करे, उत्सव या महोत्सव करे, खुद को ही इनाम दे डाले या अपने दोस्तों को ही इनाम दे. दूसरों के अधिकार छेत्र में जा के मैं कुछ कहना ठीक नहीं समझता. ब्लॉगजगत को इस से बहुत फाएदा होता नहीं दिखाई देता. हाँ आपस के रिश्ते कुछ ब्लॉगर के मज़बूत होते है यह एक अच्छी बात है और आशा है इन रिश्तों का वो सही इस्तेमाल करेंगे.
सवाल—12 -धार्मिक-उपदेश और उनको अपने जीवन में उतारना, आज के युग में कहाँ तक सही है?
धार्मिक उपदेश कि महत्ता हर धर्म कि किताबों मैं है. आज हम ना तो ईमानदारी और सदाचारी होना पसंद करते हैं और ना ही धार्मिक उपदेशों को सुन ना . यह हमारी कमी है ना कि किसी धर्म या धार्मिक उपदेशों की . धार्मिक उपदेश हमारे जीवन का आईना हैं , जिसे हमेशा देखते रहना चाहिए|
सवाल--13 -एक भारतीय महिला को कैसा होना चाहिए, कोई महिला ऐसी है जिसे आप आदर्श के रूप में प्रस्तुत कर सकें?
भारतीय महिला ? शायद सवाल यह सही है कि एक महिला को कैसा होना चाहिए? आज के युग मैं जहाँ आधुनिक महिला कम वस्त्र धारण कर के गर्व महसूस करती है ,इस विषय पे कुछ कहना सही नहीं है. ब्लॉगजगत की तस्वीरों से देखा जाए तो रेखा श्रीवास्तव जी को देख ख़ुशी होती है. आदर्श महिलाएं इस विश्व मैं बहुत सी गुज़री हैं. जिनमें से जनाब ए मरियम ,और जनाब ए फातिमा (स.ए) का नाम मैं अवश्य लूँगा.
सवाल..14..आप को जौनपुर को विश्व से जोड़ने का ख्याल कैसे आया?
अपने वतन जौनपुर की मुहब्बत का एहसास मुझे जौनपुर से दूर रहने पे हुआ और इसी एहसास ने मुझे जौनपुर को विश्व से जोड़ने की प्रेरणा दी. मैंने परदेस मैं कहीं कोई जब अपने देस का मिल जाता है तो कितनी ख़ुशी होती है यह मुझ जैसा एक परदेसी ही बता सकता है. जब कभी वतन की याद आती तो यह ख्याल आता "ओ देश से आने वाले बता क्या अब भी वतन में वैसे ही सरमस्त नजारें होते हैं"
महावीर शर्मा जी की कुछ पंकियां याद आ रही हैं की
जब वतन छोड़ा, सभी अपने पराए हो गए
आंधी कुछ ऐसी चली नक़्शे क़दम भी खो गए
खो गई वो सौंधि सौंधी देश की मिट्टी कहां ?
वो शबे-महताब दरिया के किनारे खो गए
जब वतन छोड़ा, सभी अपने पराए हो गए
आंधी कुछ ऐसी चली नक़्शे क़दम भी खो गए
खो गई वो सौंधि सौंधी देश की मिट्टी कहां ?
वो शबे-महताब दरिया के किनारे खो गए
सवाल--15-जौनपुर निवासियों के लिए कोई सन्देश?
जौनपुर निवासियों का अपने वतन से और वहां के लोगों से प्रेम जग ज़ाहिर है. अपने शहर मैं ही रोज़गार के अवसर तलाशें और इसके लिए सरकार पे दबाव बनाएं| बिजली की व्यवस्था को सही करने और गोमती नदी के प्रदुषण को कम करने , जौनपुर को पर्यटन स्थल घोषित करने की मुहीम मिल जुल के चलाएं| गंगा जमुनी संस्कृति के लिए मशहूर इस जौनपुर का नाम विश्व मैं ऊंचा उठाने मैं सकारात्मक सोंच रखते हुए एक दूसरे का सहयोग दें.|