जनाब कैस ज़ंगीपूरी कहा करते थे कि " हज़ार सामान हो साथ लेकिन, सफ़र सफ़र है वतन वतन है.." इन पंक्तियों कि हकीकत को मैंने अपने वतन जौनपुर से दूर रह के बखूबी समझा है. वतन से दूर अक्सर ख्याल आता कि "ओ देश से आने वाले बता क्या अब भी वतन में वैसे ही सरमस्त नजारें होते हैं"
मैंने अपने वतन कि इसी मुहब्बत के चलते हमारे जौनपुर को ,इसकी तहजीब,इतिहास और प्रतिभाओं को पूरे विश्व तक पहुंचाने का निर्णय लिया और जौनपुर कि पहली वेबसाइट अंग्रेजी और हिंदी दोनों मैं बना डाली. इस वेबसाइट के साथ साथ जौनपुर के लेखको को जोड़ने के लिए जौनपुर ब्लॉगर अस्सोसिअशन का निर्माण किया.
मैं अपने वतन के लोगों का आभारी हूँ कि उन्होंने मेरी इस कोशिश का स्वागत किया और सराहा. आशा है ऐसी ही मुझे अपने वतन वालों का सहयोग मिलता रहेगा.
जौनपुर कि इस वेबसाइट और ब्लॉगर अस्सोसिअशन का ज़िक्र वहाँ के अखबारों ने भी किया ,जिसके लिए मैं उनका आभारी हूँ.
एस एम मासूम
संपादक हमारा जौनपुर
मैंने अपने वतन कि इसी मुहब्बत के चलते हमारे जौनपुर को ,इसकी तहजीब,इतिहास और प्रतिभाओं को पूरे विश्व तक पहुंचाने का निर्णय लिया और जौनपुर कि पहली वेबसाइट अंग्रेजी और हिंदी दोनों मैं बना डाली. इस वेबसाइट के साथ साथ जौनपुर के लेखको को जोड़ने के लिए जौनपुर ब्लॉगर अस्सोसिअशन का निर्माण किया.
मैं अपने वतन के लोगों का आभारी हूँ कि उन्होंने मेरी इस कोशिश का स्वागत किया और सराहा. आशा है ऐसी ही मुझे अपने वतन वालों का सहयोग मिलता रहेगा.
जौनपुर कि इस वेबसाइट और ब्लॉगर अस्सोसिअशन का ज़िक्र वहाँ के अखबारों ने भी किया ,जिसके लिए मैं उनका आभारी हूँ.
एस एम मासूम
संपादक हमारा जौनपुर
पूरी ज़िंदगी ही एक सफ़र है.अख़बारों में प्रकाशन की बधाई.
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