21वीं सदी को विज्ञान और टेक्नोलाजी का युग कहा गया है जिसके चलते प्रकृति के रहस्यों से परत खोलने में जहां मानव सफल हुआ, वहीं प्राचीन काल की किंवदंतियों को नकारते हुये आज हम चांद पर चढ़कर उन तथ्यों और रहस्यों को जानने का प्रयास कर रहे हैं कि क्या मानव जीवन के लिये यहां कुछ है। वहीं दूसरी तरफ कम्प्यूटर क्रांति के युग में जहां हम तमाम कार्य जो महीने में सम्पादित होते थे, वे आज मिनटों में होने लगे हैं। उसी क्रांति में एक दूसरा सबसे बड़ा नाम संचार क्रांति का आता है जिसने विदेशां के साथ-साथ हमारे भारत देश में भी अपनी क्रांति का बिगुल ही नहीं फंूका, बल्कि संचार जगत में हुये घोटालों में भी क्रांति ला दिया जिसका परिणाम यह हुआ कि मंत्रियों को कुर्सी का परित्याग के साथ ही जेल जाना पड़ा। कितनों की कुर्सी गयी तथा बहुतेरे अभी बाकी हैं। इसी कड़ी में आगे बढ़ते हुये आज मध्यम से मध्यम वर्ग भी संचार माध्यम मोबाइल से जुड़ा हुआ है जिसे हर तबके के लोगों के बीच देखा जा रहा है।
मोबाइल फोन के जरिये आज हम अपने दूर-दराज के प्रियजनों, परिजनों से जहां सीधे बात कर रहे हैं, वहीं 3जी के माध्यम से एक-दूसरे का चेहरा भी देख रहे हैं। भ्रष्टाचार का चढ़ावा चढ़ाकर अरबों-खरबों की कमाई के बाद भी इनका खाली पेट अब हमारी भारतीय संस्कृति को भ्रष्ट करते हुये धन अर्जित करने की चाह में हमारे युवा वर्ग को व्यभिचार के दलदल में कदम रखने को विवश कर रही है। युवाओं को अपने शोषण का माध्यम बनाते हुये कुछ मोबाइल कम्पनियों ने बाकायदा महानगरों में अपने काल सेन्टर खोल रखे हैं।
सेन्टर नामक आढ़त से बाहर निकलकर इन आढ़तियों ने भयंकर लूटपाट की योजना के साथ-साथ हमारे भारतीय समाज पर कुठाराघात करने के लिये अपने सब डीलर को शहर से लेकर गांव तक इस मकड़जाल को फैला दिया। फिर शुरू हुआ इनका और इनके कारिन्दों का कारनामा ‘रोजगार के नाम पर जिस्मफरोशी का गोरखधंधा।’ कम्पनियों ने इसके लिये हर वर्ग की लड़कियों/औरतों के साथ-साथ विधवा महिलाओं को मोहरा बनाते हुये कम खर्च में अधिक आय के लिये इनके हाथों में फ्री का मोबाइल दिया। साथ ही अनजाने नम्बरों से मनचाही बात की तथा घर बैठे 3 से 5 हजार मासिक आय की लालच दी। बात के साथ अनजाने लोगों से मुलाकात, फिर सेक्स की शुरुआत।
इनके चक्रव्यूह में फंसकर मासूम बच्चियां जहां ‘मुंगेरी लाल के हसीन सपनों’ में खो रही हैं, वहीं आने वाले दिनों में पता चलेगा कि अपनी इज्जत को चंद रूपयों में बेचकर अपने ही हाथों बर्बाद की हुई जिंदगी पर बैठकर रो रही हैं। अपनी बढ़त की साज-सज्जा पूरी कर लेने के बाद किशोर जगत से लेकर वृद्ध तक के नम्बरों पर एसएमएस का दौर शुरु होता है। आने वाले एसएमएस में लिखा होता है कि 55.......... डायल करें, अपने मनपसंद की बातें करें। फ्रेंडशिप का नाम देकर हमारे देश में अश्लील हरकतों को खुला प्रलोभन देकर समाज को खुलेआम दूषित किया जा रहा है। उतावलेपन में आकर तुरंत लोग इन नम्बरों पर काल करते हैं। इसके बदले में 2 रूपया प्रति मिनट का चार्ज लिया जाता है। जहां लड़कें नग्न बातें करते हैं, जहां इसे टेलीफोनिक सेक्स का नाम दिया गया है। जब तक अश्लीलता नहीं परोसा जायेगा तब तक घण्टे का टार्गेट पूरा नहीं होगा।
चंद मिनटों की बात सीधे जा पहुंचती है अश्लीलता की दुनिया में जहां मोहरा बनी लड़कियों को चंद रुपयों के साथ व्यभिचार का मौका तथा फ्री का ब्रेन कैंसर लेकिन शोषण का शिकार हो रहे युवा को सिर्फ मां-बाप के पैसों की बर्बादी, व्यभिचार ब्रेन कैंसर, एड्स जैसा पुरस्कार। घण्टे भर बात करने का टार्गेट रात-रात भर जागकर पूरा किया जाता है। युवा के कैरियर के साथ-साथ जीवन से खिलवाड़ के बाद बर्बाद हुई जिंदगी में बचता है तो सिर्फ प्रतिशोध या मौत का दलदल। सर्वे के अनुसार कई नम्बरों पर रिंग करके पाया गया कि कुछ लड़कियां धन भोग की ललक में तो कुछ सुख भोग की खातिर तो कुछ विधवा अपनी तथा अपने बच्चों के पालन-पोषण के लिये ऐसा घृणित कार्य करने को विवश हैं।
इस कार्य में एक सोची-समझी नीति के तहत नगरों से लेकर महानगरों तक एक रैकेट काम कर रहा है जो हमारी भारतीय संस्कृत को दूषित किये जा रहा है। सर्विलांस के जरिये अपराधियों को धर दबोचने वाला पुलिस विभाग इस पर मौन क्यों है? क्या अश्लीलता परोस रही इन कम्पनियों ने इस खेल का कोई जायज लाइसेंस ले रखा है?
साभार
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