महात्मा गाँधी जी का कहना था कि यदि हम कम वस्त्रों का इस्तेमाल करें तो ,हम गरीबों के लिए वस्त्रों का इंतज़ाम कर सकते हैं. राष्रीय सेवा योजना के तहत कुलपति प्रोफेसर सुंदर लाल ने बापू बाज़ार का आयोजन किया. कुलपति ने कहा कि वो गरीबों को यह कपडे मुफ्त दे सकते थे लेकिन इस से उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुँचती इसलिए उन्होंने ,इस कपड़ों को बेचने का इरादा किया. २० जनवरी २०११ को इस बाज़ार मैं कपड़ों के भाव २ रुपये से ५ रुपये ही थे. कुलपति जी ने कहा कि आगे आने वाले वर्षों मैं कपड़ों के अलावा और भी सामान को पेश करने कि योजना बनाई है. जैसे पुरानी किताबें, इत्यादि.
बापू बाज़ार के इस आयोजन से लोगों मैं एक जोश देखा जा सकता है. मॉस मीडिया के प्रोफेसर रामजीलाल ने कहा कि इसको राष्ट्रीय स्तर पे आगे ले जाने कि आवश्यकता है.मॉस मीडिया के प्रोफेसर डॉ मनोज मिश्रा से बात चीत मैं उन्होंने बताया कि मंहगाई के इस दौर मैं इस बात कि आवश्यकता महसूस कि जा रही है कि ऐसे आयोजनों में आम जानता से सहयोग की अपील कि जाए और इस काम को जनता के सहयोग से आगे बढाया जाए. इसके लिए नागरिकों को जागरूक होने की आवश्यकता है.
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