
यहां से प्रस्थान करते समय वे अपनी अनेक बहुमूल्य वस्तुएं यहीं बतौर यादगार छोड़ गए थे, जो मछरहट्टा रासमंडल निवासी एक माली परिवार के यहां काफी समय तक पड़ी रहीं। इसी परिवार के स्व.गोविंद सिंह माली को ये वस्तुएं अपने पूर्वजों से प्राप्त हुई जो बाद में गुरूद्वारा को प्रदान कर दी गई। इनमें गुरू तेग बहादुर सिंह का लोहे का तीर और गुरू ग्रंथ साहिब की हस्तलिखित प्रति भी सम्मिलित थी। करीब 47 वर्ष पूर्व वर्ष 1970 में ये दुर्लभ वस्तुएं रासमण्डल स्थित गुरूद्वारा को दे दी गयीं | लोहे का तीर और ग्रन्थ आज भी वहां देखा जा सकता है
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1430 पृष्ठों की गुरू ग्रंथ साहिब की यहां रखी गई हस्तलिखित प्रति सफेद रंग के उत्तम कोटि के कागज पर काली रोशनाई से स्पष्ट अक्षरों में लिखी गई है। मुख्या ग्रंथी बताते हैं कि गुरुद्वारे में रखा दुर्लभ हस्तलिखित श्री गुरू ग्रंथ साहिब क्षत विक्षत हाल में जीर्णोद्धार के लिए दिल्ली भेजा गया था। जिसके सुधार में दो लाख रुपये खर्च आया। यह दो साल बाद मरम्मत कराकर वापस मंगा लिया गया है। उसे यहां बेहद सावधानी पूर्वक सुरक्षित रखा गया है।


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हस्तलिखित ग्रन्थ |


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