किसी समय में बांस के बने टोकरी, सूप, झाड़ू ,डौली जैसे दैनिक उपयोग की सामग्रियों की भी खूब मांग रहती थी और बांस शिल्पियों का कारोबार अच्छा चलता था लेकिन बांस शिपियों के अनुसार अब उनके बने सामानों की मांग चाइना मार्किट और प्लास्टिक के बने सामान के कारण कम होती जा रही है |
बांस शिल्प के लिए बेंत बांस बहुत जरूरी होता है लचीला होने के चलते इस प्रजाति के बांस से कलाकृतियां और अच्छी बनती हैं बारीक काम भी इससे किया जा सकता है| बांस शिल्पियों के लिए संभावनाओं की कमी नहीं है लेकिन आथिक तंगी और शाम को शराब पीने की आदत के चलते इनका काम और हुनर अब ख़त्म होता जा रहा है और वो दिन दूर नहीं लगता जब हमें बाजारों में बांस की बनी टोकरी, सूप, झाड़ू ,डौली जैसी आप वस्तुएं भी मिलना मुश्किल हो जाया करेंगी |
बांस शिल्प के लिए बेंत बांस बहुत जरूरी होता है लचीला होने के चलते इस प्रजाति के बांस से कलाकृतियां और अच्छी बनती हैं बारीक काम भी इससे किया जा सकता है| बांस शिल्पियों के लिए संभावनाओं की कमी नहीं है लेकिन आथिक तंगी और शाम को शराब पीने की आदत के चलते इनका काम और हुनर अब ख़त्म होता जा रहा है और वो दिन दूर नहीं लगता जब हमें बाजारों में बांस की बनी टोकरी, सूप, झाड़ू ,डौली जैसी आप वस्तुएं भी मिलना मुश्किल हो जाया करेंगी |
जब की बांस शिल्पियों की बनायी वस्तुओं की मांग आज महानगरों की बाज़ार में बहुत अधिक है और यह वस्तुएं काफी मंहगे दामो में मिला करती हैं और जौनपुर में बैठे कारीगर इनको केवल २० -४० के मुनाफे पे बेचने को मजबूर हैं |
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