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    बुधवार, 8 जनवरी 2014

    जौनपुर मुहर्रम- सफ़र वर्ष २०१३-१४ अब ख़त्म होने को है |

    जब मुहर्रम आता है हुसैनी अलम ताजिया लिए नौहा मातम करते पूरी दुनिया में दिखने लगते हैं |यह यकीनन सोंचने  की बात है की कर्बला का वाकेया आज १४०० साल पुराना है फिर भी इमाम हुसैन (अ.स) के चाहने वाले इसे ऐसे मनाते है जैसे यह अभी कल की ही बात हो | क्यूँ? 

    इमाम हुसैन (अ.स) का ग़म जौनपुर में बड़े जोश से मनाया जाता है जिसमे हिन्दू मुसलमान शिया सुन्नी सभी शामिल हुआ करते हैं | मुसलमानों ने पहली मुहर्रम को जो ताजिया सजाया था  उसे तो 10 मुहर्रम जिसे आशूरा भी कहते हैं ,के दिन दफन कर दिया जाता है लेकिन दो महीने आठ दिन तक यह इमाम हुसैन का दुःख मनाया जाता है  | इन दिनों में मुसलमान काले कपडे पहने दुनिया के  हर देश की तरह जौनपुर में भी नज़र आयेगे| जगह जहग शब्बेदारी, जुलुस अज़ादारी ,मजलिस का सिलसिला इन दो महीने आठ दिन तक चलता रहता है जिसमे बहुत से ख़ास दिन जैसे आशूरा, इमाम का दसवां, चौबीसवां,चालीसवां,28 सफ़र इत्यादि ख़ास होते हैं | 

     जौनपुर की अज़ादारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए जौनपुर अज़ादारी की वेबसाईट पे आप जा के जानकारी प्राप्त कर सकते हैं |

    इमाम हुसैन (अ.स) की शक्सियत किसी धर्म की जागीर नहीं बल्कि इमाम हुसैन (अ.स) सभी इंसानों के दिलों पे राज करते हैं|

    चलिए देखते हैं इस मुहर्रम की कुछ झलकियाँ |

    Chaand Raat
    ज़ुल्जिनाह जिसने वफादारी की मिसाल कर्बला में कायम की |

    Majlis at Khalis Mukhlis masjid jaunpur
    बाज़ार भुआ जौनपुर इमामबाडा 
    मुफ़्ती मुहल्लाह दरियावाला चेहल्लुम 







    9 रबिउल्व्वल ज इस वर्ष ११ जनवरी को पड़ रहा है नवासा ए रसूल हजरत इमाम हुसैन (अ.स) की शहादत का दुःख मना रहे मुसलमान काले उतार के खुशियाँ मनायेंगे और जिन मुसलमान महिलायों ने अपने सुहाग की निशानी चूड़ियां उतार दी थीं फिर से पहन के ईद ऐ मिलादुन नबी की तैयारी शुरू कर देंगी और दुआ करेंगे अगले वर्ष इतना जीवन और मिले की इमाम हुसैन (अ.स) का ग़म फिर मन सकें और अज़ादारी में शिरकत कर सकें |

    बचे तो अगले बरस हम हैं और यह ग़म है ,जो चल बसे तो यह अपना सलाम ऐ आखिर है |

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