728x90 AdSpace

This Blog is protected by DMCA.com

DMCA.com for Blogger blogs Copyright: All rights reserved. No part of the hamarajaunpur.com may be reproduced or copied in any form or by any means [graphic, electronic or mechanical, including photocopying, recording, taping or information retrieval systems] or reproduced on any disc, tape, perforated media or other information storage device, etc., without the explicit written permission of the editor. Breach of the condition is liable for legal action. hamarajaunpur.com is a part of "Hamara Jaunpur Social welfare Foundation (Regd) Admin S.M.Masoom
  • Latest

    सोमवार, 13 जनवरी 2014

    मकर संक्रांति पर गंगा सागर में मेला लगता है।

    हर साल 14 जनवरी को मकर संक्रान्ति का पर्व संपूर्ण भारत में श्रद्धापूर्वक मनाया जाता है। मकर संक्रांति पर्व के मद्देनजर नगर के प्रमुख चौराहों पर दुकानें सज गई है। पूर्व संध्या पर नगर सहित ग्रामीण अंचल की बाजारों में खरीदारों की भीड़ रही। महंगाई के चलते बिक्री का असर देखने को मिला।बाजार में सबसे ज्यादा लाई-चिवड़ा व गट्टे की दुकानें लगी है। इसके अलावा चीनी व गुड़ से बने सामानों की दुकानें भी लोगों को अपनी ओर खींच रही है। जिसमें गुड़ तिलकुट, तिल लड्डू, तिल्ली गुड़ पट्टी, तिलकुट, तिल बरी, तिल्ली पट्टी चीनी, दाल पट्टी चीनी, बादाम पट्टी चीनी, सेव ढुंढा, लाई ढुंढा, गट्टा, गजक, लाई, चिवड़ा सहित अन्य सामान बाजार में बिक रहे है।इन सामानों में सबसे कम दाम पर जहां चिवड़ा मिल रहा है वही सबसे महंगा तिल लड्डू है। हालत यह है झोला लेकर खरीदारी करने पहुंचे लोगों की जेबें तो खाली हो जा रही है लेकिन महंगाई के चलते उनका झोला नहीं भर पा रहा है।खिचड़ी भेजने की परंपरा का निर्वहन करते हुए लोगों ने बाजार से रेडीमेड सामान और कपड़ा खरीद कर बहन, बेटियों के यहां पहुंचे।


    पुराणों के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य अपने पुत्र शनि के घर एक महीने के लिए जाते हैं, क्योंकि मकर राशि का स्वामी शनि है। इस दिन भगवान विष्णु ने असुरों का अंत करके युद्ध समाप्ति की घोषणा की थी। उन्होंने सभी असुरों के सिरों को मंदार पर्वत में दबा दिया था। इसलिए यह दिन बुराइयों और नकारात्मकता को खत्म करने का दिन भी माना जाता है।- एक अन्य पुराण के अनुसार गंगा को धरती पर लाने वाले महाराज भगीरथ ने अपने पूर्वजों के लिए इस दिन तर्पण किया था। उनका तर्पण स्वीकार करने के बाद इस दिन गंगा समुद्र में जाकर मिल गई थी।


    दूसरी ओर संक्रांति पर्व नई फसल के आने की खुशी में भी मनाया जाता है। इस दिन हर जगह और हर घर की अपनी अलग-अलग परंपराएं होती हैं। संक्रांति के लड्डुओं का ठंड के मौसम को ध्यान रखते हुए विशेष महत्व है। जनवरी माह में आने वाली संक्रांति के समय ठंड बहुत ज्यादा होती है। तिल और गुड़ गर्म होते हैं जो ठंड में स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभकारी होते हैं, जिसके कारण घर के सभी सदस्य बहुत पसंद करते हैं। कुछ भी हो पर संक्रांति पर तिल-गुड़ के लड्डू तो बनते ही हैं।
    • Blogger Comments
    • Facebook Comments

    0 comments:

    एक टिप्पणी भेजें

    हमारा जौनपुर में आपके सुझाव का स्वागत है | सुझाव दे के अपने वतन जौनपुर को विश्वपटल पे उसका सही स्थान दिलाने में हमारी मदद करें |
    संचालक
    एस एम् मासूम

    Item Reviewed: मकर संक्रांति पर गंगा सागर में मेला लगता है। Rating: 5 Reviewed By: एस एम् मासूम
    Scroll to Top