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    मंगलवार, 10 मई 2011

    उफ़ यह गर्मी और लू , सड़कों पर पसरा सन्नाटा

    मई का पहला सप्ताह जाते ही जौनपुर मैं लू और गर्मी ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया। लू के थपेड़ों को लोग सह नहीं पाये और तीखी धूप के कारण सड़कों पर सन्नाटा पसर गया। पारा भी चढ़कर 43 डिग्री सेल्सियश रहा।पूर्वाह्न के बाद जहां गर्मी ने तीखे तेवर दिखाने शुरू किये, वहीं लू भी चलने लगी। लू के थपेड़ों का असर रहा कि तीखी धूप में इसका सामना करने में लोग अपने को असहाय समझ रहे थे। जो भी घर से निकलता सिर पर गमछा या टोपी लगा कर  निकलता, मर्द तो मर्द महिलाओं को भी चेहरा हिजाब से ढके निकलते पाया गया।
    ऐसे मैं गन्ने के रस, पुदीना  पानी और लस्सी वालों की चांदी हो गयी । और कुछ दिनों मैं डाक्टरों की भी चांदी होगी क्योंकि गन्ने के रस और लस्सी मैं जो मक्खी पाई जाती है उस से हजारों बीमारियाँ जन्म लेती हैं.


    उप कृषि निदेशक एसएन दुबे का कहना है कि भीषण गर्मी, तीखे लू से हरी सब्जियों पर विपरीत असर पड़ रहा है। उसमें पानी की कमी हो जायेगी तो वह रुखेपन का शिकार हो जा रहा है। उधर मौसम विज्ञानियों का कहना है कि अभी एक सप्ताह तक इसी तरह कभी गर्मी तो कभी धूप और लू का समना लोग करेंगे। इसके बाद फिर मौसम में बदलाव होगा।  उन्होंने कहा कि वैश्विक तपन के कारण परिस्थितियां बदल रही हैं। ऐसे में लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि इससे विभिन्न प्रकार की बीमारियां भी फैल सकती हैं।
    गर्मियों मैं जब भी बहार निकलें ,खली पेट न हों , यदि कुछ नहीं तो पानी ही पी के निकलें. खीर, तरबूज,खरबूजा,ककड़ी इत्यादि का सेवन अधिक करें.  आम का पन्ना शरीरे की गर्मी कम करने मैं रामबाड़ का काम करता है.


    गर्मी में लोगों को सबसे ज्यादा लू का डर बना रहता है। शहर हो या गांव हर जगह इससे बचने के उपाय आजमाए जाते हैं। लू से बचने का सबसे आसान तरीका है कि गर्मी में ज्यादा से ज्यादा पानी पिया जाए।
    मानव शरीर किसी एयर कंडीशनर जैसा ही है। बाहर के तापमान में भले ही कितना बदलाव आए, शरीर का तापमान 37 डिग्री ही बना रहता है। गर्मी में जब हम लापरवाही पूर्वक बाहर निकलते हैं तब तेज धूप और गर्म हवा शरीर की बाहरी त्वचा को अत्यधिक गर्म कर देती है। इस गर्मी से रक्त नलिकाएं चौड़ी हो जाती है जिससे ब्लड सर्कुलेशन बढ़ जाता है। बढ़े हुए ब्लड सर्कुलेशन और गर्म हुआ खून शरीर के अंदर के तापमान को भी बढ़ा देता है। इसे ही लू लगना कहते हैं। यही गर्मी यदि मस्तिष्क तक असर कर जाए तो बुखार 107 डिग्री तक पहुंच जाता है।
    थोड़ी से सुरक्षा बरत कर लू से बचा जा सकता है।  लू से बचने का सबसे सही तरीका है शरीर को पानी की पर्याप्त मात्रा दी जाए। गर्मी में पसीने के कारण नमक की कमी भी आ जाती है इसके लिए आम का पना, मठा जैसे लिक्विड या फिर ओआरएस का घोल पीकर अपनी सुरक्षा की जा सकती है। यदि कहीं धूप में ज्यादा देर तक रहने से चक्कर आने, ठंडा पसीना आने जैसी स्थिति बने तो ओआरएस का घोल पी लें।
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