वर्तमान में जिले के कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां आज भी विद्युत प्रवाहित तार को ले जाने के लिये खम्भे नहीं गाड़े गये हैं और विद्युत प्रवाहित तार खम्भों के बजाय बांस-बल्ली के सहारे एक जगह से दूसरे जगह ले गये हैं. बांस-बल्ली में बांधकर तार ले जाने से ज्यादा ऊंचाई नहीं मिलती है जिससे सड़क व खेत की पगडंडियों से आने-जाने वालों पर हादसे का संकट मंडराता रहता है। यही कारण है कि टैªक्टर, ट्रक, जीप, बस, बैलगाड़ी आदि के ऊपर सामान आदि लादना खतरे से बाहर नहीं रहता है।
क्या यह मान लिया जाए की बिजली विभाग इसके पीछे छुपे खतरे से अनजान है?
जान कर अंजान हैं।
जवाब देंहटाएंhamare yaha bhi bijuli baans balli ke sahar prakat huyi hai bhai
जवाब देंहटाएंkiran ne sahi kaha
जवाब देंहटाएंडरो नही, इन तारो मे बिजली तो आनी नही, इस लिये बिजली बिभाग भी सोचता हे खाना पुर्ती तो हो गई अब बेकार मे खम्बे क्यो लगाये...
जवाब देंहटाएंडरो नही, इन तारो मे बिजली तो आनी नही, इस लिये बिजली बिभाग भी सोचता हे खाना पुर्ती तो हो गई अब बेकार मे खम्बे क्यो लगाये...
जवाब देंहटाएंsahmat.
Nice post.
बेहतरीन है।
औरत
की हक़ीक़त Part 1(औरत-मर्द के रिश्ते की एक अनूठी सच्चाई सामने रखने
वाला एक बेजोड़ अफ़साना) - Dr. Anwer Jamal
उ०प्र० में कुछ जगह बिजली बेधड़क दिन में आती है। कुछ जगह रात में चोरी-छिपे आती है। कुछ जगह बिजली की तरह आती है। कुछ जगह बैलगाड़ी की चाल से आती है। कुछ जगह बिेजली वोटों के सहारे आती है। कुछ जगह बिजली नोटों के सहारे आती है। कुछ जगह बिजली झंडों के सहारे आती है और कुछ जगह डंडों के सहारे आती है। आपके यहाँ बिजली डंडों सहारे नहीं बाँसों के सहारे आ रही है। जौनपुर तरक्की पर है। वाह! क्या विकास का अद्भुत नमूना है?
जवाब देंहटाएंओह! यह तो बेहद खतरनाक है...
जवाब देंहटाएंAisa kahin kahin Lucknow men bhi dekhne ko mul jata hai.
जवाब देंहटाएं............
खुशहाली का विज्ञान!
ये है ब्लॉग का मनी सूत्र!
बुरा हाल है.
जवाब देंहटाएंसच में ये पिछड़ापन लगता है हमारे यहाँ कभी दूर नहीं होगी नेता सब जा ऐ सी में सो जाते हैं कौन गाँव गली जीना मरना देखता है
जवाब देंहटाएंसार्थक लेख -धन्यवाद
शुक्ल भ्रमर ५