उत्तर प्रदेश में विभिन्न जातियाँ निवास करती हैं, ऐसी ही एक है हिंदू जाति से संबंध रखने वाली भर जाति, तो आईए जानते हैं इनके बारे में। भर जाति को विभिन्न नामों से जाना जाता है जैसे राजभर , भरत, भरपतवा। भर शब्द आदिवासी भाषाओं जैसे, गोंडी और मुंडा से लिया गया है, जिसका अर्थ ‘योद्धा’ है। नृशास्त्री रसेल और हीरालाल के अनुसार, राजभर नाम एक भूस्वामी भर का प्रतीक है। वे ज्यादातर कृषि करके अपना जीवन यापन करते हैं, कृषि के लिए वे अन्य किसी के खेतों में फसलें उगाते हैं। जंगलों के आस-पास निवास करने वाले घास और लकड़ियाँ बेच कर जीवन यापन करते हैं।
उत्तर प्रदेश में इनकी संख्या लगभग 0.16 करोड़ है और ये आजमगढ़, गोरखपुर, जौनपुर, गाजीपुर, गोंडा, वाराणसी, बलिया, देवरिया, फैजाबाद, बस्ती, मऊ और महराजगंज के उपजाऊ पूर्वी जिलों के निवासी हैं। बिहार में इनकी लगभग 1,20,000 और पश्चिम बंगाल में 21,000 की संख्या है। भर एक ऐसा कबीला है जिसका मध्ययुगीन काल में गौरवशाली इतिहास रहा है, उत्तर भरत के विभिन्न हिस्सों में इसके अपने छोटे राज्य हैं।
जैसा कि इसके नाम की उत्पत्ति से स्पष्ट है, भर एक योद्धा जनजाति थी और इसने अपना एक गौरवमय इतिहास बनाया था किंतु धीरे-धीरे यह इतिहास के पन्नों से कहीं गायब हो गया। भर को भरशिव के नाम से भी जाना जाता था क्योंकि ये शैव सिद्धांत का पालन करते थे। ऐसा माना जाता है कि उनके राजा शिव के सच्चे भक्त थे और शिव की भक्ति में उन्होंने शिवलिंग को अपने कंधे पर उठाया था। इस प्रकार उनके वंशज को भरशिव के नाम से जाना जाने लगा, लेकिन धीरे-धीरे शिव हट गया।
इनकी मातृभाषा भोजपुरी, एक इंडो-आर्यन भाषा है, इनके द्वारा हिंदी भी बोली जाती है और दोनों भाषाओं को लिखने के लिए देवनागरी लिपि का उपयोग करते हैं। वहीं पश्चिम बंगाल में वे बंगाली भी बोलते हैं, जिसे बंगाली लिपि में लिखा जाता है। उनके मुख्य आहार में गेहूं और चावल जैसे अनाज होते हैं जो विभिन्न प्रकार की दालों, सब्जियों, फलों, दूध और डेयरी उत्पादों द्वारा पूरे किए जाते हैं। इनमें साक्षरता का स्तर कम है और क्षेत्रों में सरकारी अस्पतालों द्वारा प्रदान की जाने वाली सभी सुविधाओं का उपयोग करते हैं और छोटी बीमारियों के लिए हर्बल उपचार का भी उपयोग करते हैं।
भर समुदाय में अंतर्विवाह होता है,यानी वे अपने समुदाय में ही शादी करते हैं। परिवार के दोनों पक्षों में बुजुर्गों के बीच बातचीत द्वारा विवाह तय किया जाता है। इसमें दहेज वर पक्ष के बजाए वधु पक्ष से लिया जाता है। भर हिंदू धर्म के सभी प्रमुख देवी-देवताओं की पूजा करते हैं जैसे शिव, विष्णु, काली, भवानी और अन्य। वे अगवन देव (अग्नि देवता), फूलमती (फूल देवी), देह बाबा और बुरो बाबा (वृद्ध ऋषि) जैसे स्थानीय देवताओं की पूजा भी करते हैं। वे बुरी आत्माओं पर विश्वास करते हैं और बुरी आत्मा के लिए सुअर का बलिदान देते हैं। इनके द्वारा दीपावली, होली, तीज और महा शिवरात्रि भी मनाई जाति है।
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