पर्यटक का पहला उद्देश्य होता है मानसिक शांति और तफरीह के लिए नए-नए इलाकों की खोज और इसी के साथ साथ नए इलाकों में घूमना-फिरना और अपनी एकरस और सुस्त हो रही जिंदगी में नया जोश पैदा करना। ऐसे लोग चाहे अपने ही देश या विदेशों से आते हों, वे आमतौर पर ऐतिहासिक इमारतों, धार्मिक स्थलों, प्राकृतिक दृष्टि से रमणीक समझे जाने वाले ठिकानों, अपने से भिन्न संस्कृति और लोक-जीवन वाले आकर्षक स्थलों, वनों, निर्जन स्थानों की खोज में ही अपनी कामयाबी देखते हैं | पर्यटकों ने हमेशा दुनिया की बड़ी इमारतों और कलाकृतियों को देखने के लिए दुनिया के दूर दूर के क्षेत्रों तक यात्रा की है, ऐसा वे नई भाषाएँ जानने, संस्कृतियों का अनुभव करने के लिए, और नए और अलग स्वाद के व्यंजनों को चखने के लिए करते आए हैं।
जौनपुर में आपको शहरी और ग्रामीण जीवल का मिलाजुला रूप देखने को मिलता है जहाँ शहर में एक तरफ वैश्वीकरण के कारण खान पान पहनावे ,आपसी मेल जॉल के तरीके इत्यादी में पश्चिमी सभ्यता की छाप दिखती है तो वही दुसरी तरफ ग्रामीण इलाक़ों में वही पुराने तौर तरीके देखने को मिलते हैं |
ग्रामीण भारत के पास लोगों को देने के लिये बहुत कुछ है। इन क्षेत्रों की पहचान करने और इस क्षेत्र में पर्यटन की सम्भावनाएँ खोजने के लिये केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों के एकजुट प्रयासों की आवश्यकता है। आज अधिकतर समाज शहरीकृत हो चुका है। ऐसे में ग्रामीण पर्यटन शहरी आबादी के बीच निरन्तर लोकप्रिय हो रहा है।
जौनपुर अनेक धर्मों और सभ्यता का इलाक़ा है जैसे हिंदू धर्म, इस्लाम, बौद्ध धर्म, सिख धर्म, इसाई धर्म, जैन धर्म और सूफी धर्म। इन सभी धर्मों के जौनपुर के विभिन्न भागों में प्रमुख ऐतिहासिक स्थल हैं। पर्यटक स्थानीय धार्मिक और परम्परागत अनुष्ठानों में रुचि विकसित कर सकते हैं, जो सामाजिक सद्भाव के प्रेरक के रूप में काम कर सकती है।
जौनपुर के पास लोगों को देने के लिये बहुत कुछ है। इन क्षेत्रों की पहचान करने और इस क्षेत्र में पर्यटन की सम्भावनाएँ खोजने की आज आवश्यकता है | देश में ग्रामीण पर्यटन को प्रोत्साहित करने पर ही ग्रामीण पर्यटन का विस्तार और विकास हो सकता है।
एस एम् मासूम
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