पटना शहर के गुलजारबाग रेलवे स्टेशन से सटा हुआ शीतला मंदिर है जहां एक रहस्यमयी कुंवा है जिसके बारे में तरह तरह की बातें मशहूर है और आज तक यह एक रहस्य ही बना हुआ है |

'अगम कुआं' पटना के सबसे एतिहासिक स्थानों में से एक है। जानकारों के मुताबिक इस कुएं की खुदाई सम्राट अशोक के काल 273-232 ईस्वी पूर्व में की गई थी। बताया जाता है कि अशोक ने इसे कैदियों की हत्या कर लाश
फेंकने के लिए बनवाया था। कहते हैं, कि सम्राट अशोक ने राजा बनने के लिए 99 भाईयों की हत्या करवाकर इसी कुएं में फेंकवाया था। इस कुँए की आकृति गोलाकार है जिसके ऊपरी 13 metres (43 ft) पर ईंटों की पंक्तिया और और शेष 19 metres (62 ft) में लकड़ी के वृत्त है।

अगम कुआं, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा निर्धारित किये पुरातत्विक स्थल में है जिसमे इस कुँए के सामने स्थित शीतला देवी का मंदिर भी शामिल है। इस मंदिर में लोक देवी शीतला देवी की पूजा की जाती है। मंदिर के भीतर, सप्तमातृका (सात देवी माँ) की पिंडीया है जिनकी पूजा की जाती है। ये मंदिर व्यापक रूप से बड़ी माता और छोटी माता के इलाज के लिए प्रतिष्ठित है।
साल 1902 -03 में ब्रिटिश खोजकर्ता लौरेंस वाडेल ने इए कुएं का पता लगाया। वाडेल ने उल्लेख किया है कि करीब 750 वर्ष पूर्व जब कभी कोई मुस्लिम पदाधिकारी पटना में प्रवेश करता था, तो सबसे पहले सोने और चांदी के सिक्के इस कुएं में डालता था।
अगम कुआं के पास शीतला देवी का मंदिर स्थित है। यहां ऐसी मान्यता है कि यदि चेचक का मरीज इस मंदिर में जाता है, तो उसकी बीमारी ठीक हो जाती है।
माना जाता है कि जब से यह बना है तब से लेकर आज तक यह कुआं कभी नहीं सूखा। यह हर मौसम में ताजा पानी बरकरार रखता है। हालांकि कई लोगों का दावा है कि इस कुएं के पानी का रंग जरूर बदलता रहता है। आज इसकी गहराई सौ फीट से कुछ ज्यादा है। कुएं से कई रोचक मान्यताएं जुड़ी हैं। कहा जाता है कि कुएं के अंदर 9 और छोटे—छोटे कुएं हैं। यहां एक तहखाना भी है। महाराजा अशोक के युग में यहां उनका खजाना रखा रहता था।
इस कुएं से जुड़ी सबसे क्रूर कथा के अनुसार, जब महाराजा अशोक को क्रोध आया तो उन्होंने अपने 99 भाइयों की हत्या कर उनके शव इसी कुएं में डलवा दिए थे। उनके क्रोध आने का सबसे बड़ा कारण था उनकी माता की हत्या। इसके बाद अशोक का क्रोध बढ़ता ही गया। उन्होंने कई लोगों को युद्ध भूमि में धराशायी कर दिया।
कालांतर में जब कलिंग का युद्ध हुआ तो उन्होंने शवों का ढेर देखा और बुद्ध के उपदेशों से प्रभावित होकर युद्ध का मार्ग छोड़ दिया। युद्ध के बाद का जीवन उन्होंने कल्याणकारी कार्यों में लगाया। जो चीनी यात्री अशोक के शासन काल में भारत आए, उन्होंने भी इस कुएं का वर्णन किया है। इससे कुएं की प्राचीनता का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।

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