आप जब मुफ़्ती मोहल्ले से गोमती किनारे जाएंगे तो आप को टीले के ऊपर एक मस्जिद दिखाई देगी जो की अकबर के समय की बानी हुयी मस्जिद है | इस मस्जिद को एक हाथी के व्यापारी ने बनवाया था जिस दौर में मुईन खानखाना जौनपुर के नाज़िम थे |
एक व्यापारी था जो जौनपुर में हाथी बेचने आया और मन्नत मानली की अगर हाथी सभी सही दाम में बिक गए तो मुनाफे में से आधे से एक मस्जिद बनवाएगा और उसके हाथी सच में बिक गए | उस व्यापारी ने गोमती किनारे यह मस्जिद बनवायी जो दिखने में तो छोटी है लेकिन इतनी मज़बूत है की सैकड़ों बाढ़ गोमती की झेल चुकी है लेकिन आज तक टिकी हुयी है |
जौनपुर मुफ़्ती मोहल्ले के सादात इस मस्जिद की देख भाल करते हैं और चेहल्लुम का मशहूर दरया वाला जुलुस यहीं से निकलता है | .
लेखक एस एम मासूम
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"बोलते पथ्थरों के शहर जौनपुर का इतिहास " लेखक एस एम मासूम

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