
मैंने तुरंत उनके परिजनों से संपर्क कर जनपद के विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ वी एस उपाध्याय के यहां तुरंत ले आने को कहा। लेकिन उनके परिवारी जन यह मान चुके थे कि कहीं ले जाने से अब फायदा होने वाला नहीं है। वे लोग वही जमे रहे और अस्पताल के डाक़्टर ने भी ६ बजे बताया कि इनका बचना मुश्किल है,आप १० मिनट बाद घर ले जाएँ। तभी उनकी कुशल-क्षेम जानने पहुंचे बख्शा के पूर्व प्रमुख श्री पति उपाध्याय जी तुरंत जबरदस्ती उन्हें लेकर डॉ वी एस उपाध्याय के यहां पहुंचे। रास्ते में ही डॉ वी एस उपाध्याय जी को सूचित कर सारे प्रकरण से अवगत करा दिया । फिर शुरू हुई मौत से जंग। कुल २९ एंटी स्नेक सीरम इंजेक्शन लगने के बाद लक्ष्मी उपाध्याय जी की जान बची। २४ घण्टे बाद वे नार्मल हुए। अभी भी तीन दिन हो गए हैं लेकिन उनकी पूरी आँखे नहीं खुल रही हैं। देर रात तक चली इस जीवन संग्राम का मैं चश्मदीद रहा हूँ , ईश्वर करें कोई भी कभी सर्प-दंश का शिकार न हो। पूरा शरीर लकवाग्रस्त हो गया था। शरीर में यहां तक कि आँखों में भी कोई चेतना नहीं थी लेकिन सर्प-दंश के मामले में व्यक्ति की श्रवण शक्ति चलती रहती है। कौन -आया कौन गया ,लोग आपस में क्या बात कर रही थे सब व्यक्ति सुनता है लेकिन अफ़सोस यह कि वो प्रत्युत्तर नहीं दे सकता। मैंने यह चमत्कार अपनी आँखों से देखा,जिसे लोग मृत मान बैठे थे उस सर्प -दंश पीड़ित को कितने अथक प्रयास से डॉ साहब ने जीवन दिया। डॉ साहब ने बताया कि एकाध मिनट बाद यदि आप सब ले आते तो इनका बचना असम्भव था।
सर्प -दंश के मामले में कभी भी झोला छाप डाक़्टर ,ओझा-सोखा,जड़ी-बूटी पिलाने के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए। और हाँ इस मामले में सब चिकित्सक भी उपयोगी नहीं होते। इसलिए आप सभी इस सन्दर्भ में अपने जनपद /शहर के सर्प विशेषज्ञ चिकित्सक के बारे में जानकारी जरूर रखें जहां आपात स्थितियों में भूलों भटकों की मद्त हो सके।
डॉ मनोज मिश्र
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