त्रिपुरारी भास्कर |
अभी २ महीने पहले ही मेरी मुलाक़ात गुलरघाट जौनपुर निवासी त्रिपुरारी भास्कर जी से उनके लखनऊ के निवास स्थान पे हुयी थी जिसे मैंने "हमारा जौनपुर " पे पेश किया था । त्रिपुरारी भास्कर जी को अपने वतन जौनपर से बड़ा प्रेम था और उन्होंने जौनपुर पे एक किताब १९६० में बड़े गहन अध्ध्यन के बाद लिखी जिसका नाम उन्होंने " जौनपुर का इतिहास" रखा ।
८४ वर्ष के त्रिपुरारी जी के सामने जब मैंने मुलाक़ात के समय जौनपुर का नाम लिया तो उनकी बूढी आँखों में एक चमक सी आ गयी और जब उन्हें पता चला की मैं भी जौनपुर के लिए काम कर रहा हूँ तो उनकी आँखों में मैंने एक आशा की किरण देखी कि जौनपुर को विश्व पटल पे उसका सही स्थान दिलवाने की जो मुहीम उन्होंने चलायी थी शायद वो मेरे ज़रिये पूरी हो जाय और बात चीत के दौरान उन्होंने ये कह ही दिया कोशिश करें की जौनपुर पर्यटक छेत्र घोषित हो जाय और इसकी तरक़्क़ी हो सके ।
आज त्रिपुरारी जी हमारे बीच नहीं रहे लेकिन उनका काम जौनपुर के लिए हमेशा याद किया जाता रहेगा रहेगा
मुझसे मुलाक़ात के समय उन्होंने अपने वतन जौनपुर के लोगों के लिए एक संदेश भी दिया था जो आप लोगो के सामने है ।
....... एस एम मासूम
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