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    शुक्रवार, 4 दिसंबर 2015

    जौनपुर के लोग क्या सच में मक्कार होते हैं ?



    अनगिनत रहस्य अपने में समेटे है यह जौनपुर इसलिए यह कोशिश "हमारा  जौनपुर " अवश्य करेगा की उन रहस्यों से पर्दा  उठाया जा सके  ?  


    जौनपुर के जलवायु यहां की मेहमान नवाज़ी , यहां की संस्कृति यहां का इतिहास अपने आपमें बहुत से रहस्यों को अपने आपमें समेटे हुए है जो आज रहस्य केवल इसीलिये बने हुए हैं क्यों की इतिहासकारो ने उसे अपने फायदे के अनुसार पेश किया कुछ छुपाया कुछ जोड़ा ,किवदंतियों को सच बताया जाने लगा और हकीकत को छुपाया जाने लगा । आज उन रहस्यों को समझने की आवश्यकता इसलिए महसूस की जाने लगी है क्यों की बहुत से चीज़ें अब विलुप्त होने लगी है जिन्हे सामने लाने और बचाने की आज आवश्यकता है । 

    इतिहास की बातों की तो जाने दें पहले यहां के इंसानो के स्वभाव को ही देख लें सामने से देख के ऐसा लगता है जैसे यहां के रहने वाले या तो बड़े रूखे स्वभाव के हैं या चाटुकार है लेकिन ऐसा है नहीं । यहां के निवासी बहुत ही भोले स्वभाव के है और उन्हें वर्षों बेवक़ूफ़ बनाया जाता रहा है इसलिए वो जब लोगो से मिलते हैं तो अंदर से एक दर सा रहता है की कहीं सामने वाला उन्हें बेवक़ूफ़ न बना जाय । जिसके दिल में चोर नहीं होता वो सामने वाले  पे विशवास जल्द कर लेता है और अगर सामने वाला शातिर हुआ तो बेवक़ूफ़ बना के निकल जाता है । बार बार ऐसा होने से यहां के लोगों में यह कमी पैदा हो गयी की वो अब किसी पे विश्वास जल्द नहीं करते और सामने वाले से उनका फायदा होगा इसकी जगह यह सोंचते हैं की सामने वाला उन्हें बेवक़ूफ़ बना के निकल जाएगा । यहां के लोगो को वर्षों से लूटा जाता रहा और मूली मक्का और मक्कारी का नाम दे के बदनाम किया जाता रहा । सत्य यही है की एक बार आपने यहां के किसी व्यक्ति का विश्वास हासिल कर लिया तो समझिए आपके लिए अपनी जान भी दे देगा और इज़्ज़त तो इतने देगा की आपने जीवन में सोंचा भी नहीं होगा और इसके लिए न वो धर्म देकगेगा जा जाती बस उसे चाहिए विश्वासी और भरोसेमंद मित्र ।  

    जौनपुर में जो भी बाहर से आया वो बोध हों आर्य हों ,मुग़ल ,तुग़लक़ हो या शर्क़ी यहां के लोगों ने उन्हें प्यार दिया ,यहां की सुंदरता देख यही बस गया । जौनपुर के लोगों ने कभी किसी को नहीं भगाया बल्कि वो आपस में ही आते गए बसाते है और एक दुसरे की सभ्यता को ख़त्म करते गए जिनके सुबूत आज भी खुदाई करते समय मिला करते है । 

    तम्बाकू ,मूली हो या मक्का सब आज विलुप्त होने की कगार पे है जबकि पूरी दुनिया में जौनपुर जैसी ६ फ़ीट  की मूली कहीं नहीं पैदा होती और ना ही ऐसा मीठा मक्का मिलता है । यहां की नदियों के किनारे का शांत वातावरण जिसे हज़ारो सूफियों और ऋषियो को यहां बसने पे मजबूर कर दिया आज प्रदुषण से परेशान है ।  यहां की पुरानी इमारतें आज बदहाल हैं और उनका इतिहास छुपा हुआ है ।

     




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