कहना ये है कि पिछले कुछ दिनों से बहुत परेशान हूँ मैं. कुछ समझ नहीं आ रहा कि क्या करूँ. जिन दिनों का सबसे ज्यादा इन्तजार था...जिन दिनों के लिए सबसे ज्यादा अरमान पाल रखे थे मैंने अब वो दिन आया है मेरी जिन्दगी में...लेकिन मैं वैसा कुछ भी नहीं कर पा रहा हूँ जैसा मैंने सोचा था...जो मैं चाहता था और जो मेरे अरमान थे. शायद वजह मैं ही हूँ...!
मेरी “बेगम” का कहना है कि जो पाप मैं उनको, उनके मम्मी-पापा से दूर रखकर कर रहा हूँ उसी की ये सजा है. बिना बात को समझे इतनी बड़ी बात बोलना...! हम किस वजह से उनको उनके घर नहीं जाने दे रहे हैं कभी नहीं जानने की कोशिश की...लेकिन...! उनका कहना है, “जो जैसा करता है उसको वैसा ही मिलता है. मैं उनके मम्मी-पापा से उनको दूर किया हूँ, और जब मेरा बच्चा मुझसे दूर रहेगा तब पता चलेगा.” उनकी दीदी का ये कहना है कि, “एक बार बच्चा हो जाए फिर वो लोग मुझे मजा दिखायेंगे.” और जिस मजा दिखाने की वो लोग बात कर रहे हैं उसकी कल्पना करके भी मेरी रूह काँप जाती है...!
पता है मैं अपने घर को वैसा नहीं बना पा रहा हूँ जिसमें एक मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ बच्चा पैदा हो. और इसके पीछे भी वजह मैं हूँ. क्योंकि मैं उनको छत पे जाने के लिए मना करता हूँ. रात में घर से बाहर जाने के लिए मना करता हूँ. रोज दो कटोरी दाल पीने के लिए बोलता हूँ. हरी सब्जी खाने के लिए बोलता हूँ. सब मिलाकर मैं “जरुरत से ज्यादा खयाल रखने वाला” हो गया हूँ जो उनको पसन्द नहीं है...! और जिसकी वजह से रोज कोई न कोई प्रॉब्लम होती है...!
“मैं क्या करूँ मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है...!”
सुबह जागने से लेकर शाम को सोने तक मुझे ये जताया जाता है कि कि जो भी हो रहा है वो मेरी वजह से...
“सुबह जल्दी सोकर जागती हैं तो बोलती हैं आपको ब्रेकफस्ट बनाना था इसी वजह से जग गई नहीं तो मुझे तो बहुत नींद आ रही थी...!”
“ब्रेकफस्ट में हरी सब्जी बनती है तो मुझे पसन्द है इसी वजह से...”
“दिन में लंच नहीं किया क्योंकि मैं फोन नहीं कर पाया....”
“शाम को छः बजे तक भूखी हैं और चाय भी नहीं पिया मेरी वजह से क्योंकि मैं लेट आ रहा हूँ...”
“रात में खाना पूरा नहीं बना वजह मैं क्योंकि मुझे नहीं पता कि राशन में दाल खतम है या सब्जी नहीं है...”
“वो अपनी मन-पसन्द सीरियल नहीं देख पाती हैं वजह मैं...क्योंकि मैं न्यूज लगाकर बैठ जाता हूँ या मैं चाहता हूँ कि वो सीरियल्स ना देखें...”
“मेरी वजह से वो सो नहीं पाती हैं क्योंकि मेरा मोबाइल रात में भी बज जाता है...”
हर दूसरे दिन हमको ये सुनाया जाता है कि, “हमारी वजह से वो अपने मम्मी-पापा को छोड़ दी हैं तो मैं क्यों नहीं...?”
“अगर वो मेरे मम्मी-डैडी को अपना मानती हैं तो मैं क्यों नहीं...?”
“मैं जितना और जो कुछ अपनी फैमिली के लिए करता हूँ उनकी फैमिली के लिए क्यों नहीं...?”
“मेरी वजह से उनकी मम्मी को हर दूसरे दिन दिल का दौरा पड़ता है...”
“मेरी वजह से उनके पापा की आँखें नहीं ठीक हो रही हैं...”
“मेरी वजह से उनके पापा डेली ड्रिंक करते हैं...”
“मेरी वजह से उनकी दीदी की शादी टूट गई...”
“मेरी वजह से उनकी दीदी की बेटी को अच्छा एजुकेशन नहीं मिल पा रहा है...”
पता नहीं दिन में कितनी बार इस “वजह” को खत्म करने का खयाल आता है...! और अब तो बस उस दिन का इन्तजार रहता है कि कब ये खयाल हकीकत में बदलेगा...!
ऐसा क्यों होता है, कि उनकी छोटी-बड़ी सभी जरूरतों और ख्वाहिशों को पूरा करने में हमारा पूरा दिन निकल जाता है, चाहे वो उनकी साड़ी से लेकर ब्रा-पैन्टी हो या उनकी उदासी से लेकर मुस्कुराहट ही क्यों ना हो. और बाद में कोई चार मिनट फोन पे बात करके सारा क्रेडिट ले जाता है और हम अपनी पूरी जिन्दगी यही सोचने में निकाल देते हैं कि ऐसा क्या है जो मैं नहीं कर पा रहा हूँ इनके लिए...?
हम आज भी उनसे उतना ही प्यार करते हैं...
हम आज भी उनको उतना ही चाहते हैं...
हम आज भी उनके लिए उतना ही परेशान होते हैं...
हम आज भी उनके लिए उतना ही सोचते हैं...
हम आज भी उनके लिए उतने ही वफादार हैं...
फिर आज क्यों हम उतने खुश नहीं हैं जितने पहले हुआ करते थे...?
“वो हमेशा हमें यही कहती रहती हैं कि हमारी वजह से उन्होंने बहुत कुछ खोया है...उनको कौन बताये कि मिला हमें भी कुछ नहीं है...!”
अक्सर मन में ये सवाल उठते रहते हैं कि...
क्यों कोई कन्धा नहीं है मेरे पास जिस पर सर रखके रो सकूँ...?
क्यों कोई नहीं है मेरे पास जो मेरे आंसुओ को पोछ सके...?
क्यों कोई नहीं है मेरे पास जिसको गले लगाने से सुकून मिले...?
क्यों घर में दो लोगों के रहने के बावुजूद भी हमेशा अकेलापन महसूस होता है...?
“क्यों कोई नहीं है मेरे पास जिससे दिल की बात कहें...?”
“अगर इसी का नाम जिन्दगी है तो जिन्दगी ऐसी क्यों है...और अगर जिन्दगी ऐसी है तो नहीं चाहिए हमें जिन्दगी...!”
Qais Jaunpuri
A factory of creative ideas...
Films I Ads I Literature
qaisjaunpuri@gmail.com
www.qaisjaunpuri.com
9004781786, 7738250270
Conference Announcement / Call for papers
जवाब देंहटाएंnational seminar on hindi blogging
9 December 2011 to 10 December 2011
kalyan(west), India
hindi dept. of k.m.agrawal college is organising
two days national seminar on hindi blogging which
is sponsered by university grant commission .
The deadline for abstracts/proposals is 30
September 2011.
Enquiries: manishmuntazir@gmail.com -9324790726
Web address: http://kmagrawalcollege.org/
Sponsored by: k.m.agrawal college of arts,commerce
& science
Humdard har duniya ki badalti sharaafat jaisa
जवाब देंहटाएंGhar main hi har rishta chalti banawat jaisa
Bikhra pada hai sadkon pe aalam-e-insaniyat
Jahan khelna maut se sabki koi tijaarat jaisa
Ladkhadaate bekhudi mein mast taraano pe
Kambhakht dil mein liye dard koi haraarat jaisa
Lut te hain yahan kadaradaan galiyan ye azeeb hain
Bazaar-e-husn mein begunaahi ki wakaalat jaisa
Kyun chale aaye hain kohsar-e-umra pe bina wajah
kahan se laaun pal wo bachpan ki sharaarat jaisa
Kya sochte ho dekh mere jism pe bane nishaano ko
jo raat ki tanahaai mein kisi yaad ki ibaarat jaisa
Jale khwaab toote armaan fisalti jaati kismat
jeena aaj is jahaan mein lage ek kahaawat jaisa
Khush na hona ki bacha hai kahi sachcha pyaar
Bas aansuon ki zameen par girti imaarat jaisa
सामानों के पीछे दौड़ते रहे
जवाब देंहटाएंमगर सब जेब से महंगे हो गये,
जिन लोगों की नीयत पर शक नहंी था
वह सस्ते बिक कर नंगे हो गये।
कमबख्त,
इस रंग बदलती दुनियां के
नज़ारे कुछ हमने ऐसे देखे कि
जिसे चाहा अपना हुआ नहीं,
अपना होकर भी गैर बनकर साथ रहा यहीं,
स्वच्छ छवि
सम्मानीय व्यक्तित्व का स्वामी
और सफेद ख्याल का जिसे माना
वही डालर, पौंड और दीनार की खातिर
कोयले की दलाली करते
काले रंग से रंगे हो गये।