पर जहां नाग देवता की पूजा अर्चन की वहीं पहलवानों ने अखाड़ा पूजन कर मल्ल युद्ध कला की शुरूवात किया। जगह-जगह झूले पड़े जिसका आनन्द बच्चों ने लिया। सपेरे दिनभर सांप लेकर लोगों को नाग देवता का दर्शन कराते देखे गये। हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार जहां पशु, पक्षियों, वृक्षों में देवताओं का वास बताया गया है वहीं नाग देवता का पूजन भी किया जाता है। आदिकाल से नागपंचमी के पर्व पर जहां लोग विभिन्न पूजन सामग्रीयों से नागपंचमी के दिन स्नानकर प्रातःकाल दूध-लावा चढ़ाकर नाग देवता को प्रसन्न करने के लिये पूजन-अर्चन करते है वहीं इस पर्व पर मल्ल युद्ध कलाप्रेमी पहलवान लगोट पूजन, गदा जोड़ी, अखाड़ा पूजन कर प्रसाद बांटने के बाद आज के दिन से कुश्ती कला की रियाज का शुरूवात करते है। गांव से लेकर नगर तक झूले पड़ जाते है। दिनभर बच्चे झूले का आनन्द लेते है। रात में महिलायें झूले पर बैठकर कजरी गाती है तथा झूला झूलती है।
नागपंचमी के बाद से ही तीज त्योहार का पर्व शुरू हो जाता है जिसके चलते इस पर्व का पूर्वी उत्तर-प्रदेश में ज्यादा महत्व हैं। शाहगंज संवाददाता के अनुसार प्रातःकाल से ही शिवालयों पर श्रद्धालुओं की भीड़ लग गयी। लोग कतारबद्ध होकर विधि-विधान से नाग देवता का पूजन-अर्चन किये। पूरी तहसील भक्तीमय दिख रही थी। सबसे ज्यादा उत्साह इस त्योहार को लेकर बच्चों और महिलाओं में दिखायी पड़ा। आज के पर्व पर शीतला चैकिया स्थित जिला कुश्ती कोच सुबाष पहलवान के अखाड़े पर प्रातःकाल से ही नाग पूजन के बाद रामदूत हनुमान का पूजन कर कुश्ती कला का प्रदर्शन हुआ। जिसमें युवा पहलवानों ने जहां अपनी कुश्ती कला का प्रदर्शन किया वहीं पुराने पहलवाने में भरत यादव ने गदा भाजकर लोगों को रोमांचित कर दिया। जिला पंचायत के सुरक्षागार्ड मग्घूराम यादव पहलवान ने जोड़ी भाजकर नये पहलवानों का उत्साह वर्धन किया।
नागपंचमी पर मंगलकामनाएँ...
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