जौनपुर बक्शा विकास खण्ड के धनियामऊ पुल काण्ड में आजादी की लड़ाई के दौरान शहीद हुए अमर सपूतों को ज्यादातर लोग भूल चुके हैं। पूरी तरह उपेक्षित भाजपा शासन में बनवाया गया शहीद स्थल कुशों आदि से घिरकर जंगल का रूप ले चुका है। जबकि जौनपुर-लखनऊ इस राष्ट्रीय राजमार्ग से नेता, मंत्री, अधिकारी प्राय: आये दिन गुजर रहे हैं। लेकिन उक्त स्तम्भ की तरफ किसी का ध्यान नहीं होता है। सन् 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान हजारों नौजवान आजादी की लड़ाई में कूद पड़े और अंग्रेजी फौज को पछाड़ने की योजना बनायी जाने लगी। इसके पूर्व ही कांग्रेस द्वारा शिविर लगाकर नौजवानों को ट्रेनिंग दी गयी थी। उक्त शिविर का उद्घाटन आचार्य नरेन्द्र देव द्वारा चितौड़ी में किया गया। पं.गौरीशंकर (इटहा), पं.पारसनाथ उपाध्याय (भोसिला) मनिकपुरा, डा.चन्द्रपाल सिंह (धोवहां खपरहा) की देखरेख में नवयुवकों ने ट्रेनिंग लिया।
ट्रेनिंग के दौरान राष्ट्र सेवा की भावना जागृत हुई। ट्रेनिंग का सम्पूर्ण खर्च राम भरोस सिंह ने उठाया। अब इन युवकों ने 15 अगस्त 1942 को योजना बनायी कि धनियामऊ का पुल तोड़ दिया जाय तो अंग्रेजी सेना आगे नहीं जा पायेगी और 16 अगस्त को बदलापुर में लोग अपने अंजाम में सफल होंगे। इसी के तहत 16 अगस्त को बक्शा थाना लूटने एवं पुल तोड़ने के लिए सैकड़ों नौजवानों का रेला आया और बक्शा थाने को लूटने के लिए जाने लगे। वहां से सूचना मिली कि कुछ स्थानीय लोगों को मिलाकर फोर्स डटी हुई है तो नवयुवक वापस आकर पुन: पुल तोड़ने लगे। उधर बदलापुर डाकघर व थाना लूटने की सूचना बक्शा पहुंचते ही गारद वहां से चल दी। इधर धनियामऊ पुल पर पहुंचते ही पुल टूटते देख अंग्रेज इंस्पेक्टर क्रोधित हुआ और गोली चलाना शुरू कर दिया। एक बार ईट-पत्थर लेकर नवयुवक भिड़ गये लेकिन गोली के आगे ईट-पत्थर नहीं टिक सके। जो जिधर था उधर ही भागने लगा। कई को गोली लगी जिसमें जमींदार सिंह, राम अधार सिंह, राम पदारथ चौहान, राम निहोर कहार शहीद हो गये। राम भरोस की एक भुजा उड़ गयी। भोला की आंख में गोली लगी। बबई मिश्र, छत्रपाल सिंह आदि लोग बुरी तरह घायल हो गये। इस घटना के बाद जिन गांवों के लोग भूमिगत हुए थे उन गांव वासियों के ऊपर कहर टूट पड़ा। गोरी सेना ने लूटपाट, आगजनी कर सबको तबाह कर दिया।
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स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.
ट्रेनिंग के दौरान राष्ट्र सेवा की भावना जागृत हुई। ट्रेनिंग का सम्पूर्ण खर्च राम भरोस सिंह ने उठाया। अब इन युवकों ने 15 अगस्त 1942 को योजना बनायी कि धनियामऊ का पुल तोड़ दिया जाय तो अंग्रेजी सेना आगे नहीं जा पायेगी और 16 अगस्त को बदलापुर में लोग अपने अंजाम में सफल होंगे। इसी के तहत 16 अगस्त को बक्शा थाना लूटने एवं पुल तोड़ने के लिए सैकड़ों नौजवानों का रेला आया और बक्शा थाने को लूटने के लिए जाने लगे। वहां से सूचना मिली कि कुछ स्थानीय लोगों को मिलाकर फोर्स डटी हुई है तो नवयुवक वापस आकर पुन: पुल तोड़ने लगे। उधर बदलापुर डाकघर व थाना लूटने की सूचना बक्शा पहुंचते ही गारद वहां से चल दी। इधर धनियामऊ पुल पर पहुंचते ही पुल टूटते देख अंग्रेज इंस्पेक्टर क्रोधित हुआ और गोली चलाना शुरू कर दिया। एक बार ईट-पत्थर लेकर नवयुवक भिड़ गये लेकिन गोली के आगे ईट-पत्थर नहीं टिक सके। जो जिधर था उधर ही भागने लगा। कई को गोली लगी जिसमें जमींदार सिंह, राम अधार सिंह, राम पदारथ चौहान, राम निहोर कहार शहीद हो गये। राम भरोस की एक भुजा उड़ गयी। भोला की आंख में गोली लगी। बबई मिश्र, छत्रपाल सिंह आदि लोग बुरी तरह घायल हो गये। इस घटना के बाद जिन गांवों के लोग भूमिगत हुए थे उन गांव वासियों के ऊपर कहर टूट पड़ा। गोरी सेना ने लूटपाट, आगजनी कर सबको तबाह कर दिया।
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स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.
स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं.....
जवाब देंहटाएंofffff kitna saha hai humne.......aur kitnee kurbaniya aisee hai jo humare saamne aajtak nahee aa paaee.
जवाब देंहटाएंsarthak lekhan .