728x90 AdSpace

This Blog is protected by DMCA.com

DMCA.com for Blogger blogs Copyright: All rights reserved. No part of the hamarajaunpur.com may be reproduced or copied in any form or by any means [graphic, electronic or mechanical, including photocopying, recording, taping or information retrieval systems] or reproduced on any disc, tape, perforated media or other information storage device, etc., without the explicit written permission of the editor. Breach of the condition is liable for legal action. hamarajaunpur.com is a part of "Hamara Jaunpur Social welfare Foundation (Regd) Admin S.M.Masoom
  • Latest

    सोमवार, 22 अगस्त 2011

    हजरत इम्बे अली तालिब की शहादत पर जुलूस निकला।

    मुसलमानों के खलीफा हजरत इम्बे अली तालिब की शहादत पर रमजान की 20 तारीख यानी रविवार को जुलूस निकला। यह जुलूस अन्जुमन जुल्फेकारिया के तत्वावधान में अजमेरी स्थित शाह अता हुसैन की मस्जिद से निकलकर नवाब युसुफ रोड पहुंचा। वहां शिया धर्म गुरु मौलाना सफदर हुसैन जैदी ने तकरीर में कहा कि यदि लड़ना है तो गरीबी और अशिक्षा से लड़ो ताकि समाज में खुशहाली आये। आपस में शांति, सौहार्द से रहे तभी तरक्की हो सकती है।

    उधर दूसरा जुलूस शबीहे ताबूत के साथ अन्जुमन हुसैनिया के नेतृत्व में बलुवा घाट से निकला। दोनों जुलूसों का मिलान चहारसू चौराहे पर हुआ। यहां मास्टर नसीम ने तकरीर किया। इसके बाद खरामा-खरामा जुलूस शाह पंजा पहुंचा। शाह पंजा में शिया धर्म गुरु मौलाना महमुदुल हसन ने तकरीर किया। तकरीर के बाद उन्होंने नमाज अता कराई। नमाज के बाद लोगों ने रोजा अफ्तार किया और देर शाम घर वापस पहुंच गये।

    शहादत 21 रमज़ान वर्ष 40 हिजरी क़मरी की भोर का समय था। दो दिन पूर्व नमाज़ की स्थिति में सिर पर विष में बुझी तलवार का वार लगने के कारण पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम के उत्तराधिकारी हज़रत अली अलैहिस्सलाम की स्थिति बिगड़ चुकी थी। उनसे मिलने के लिए आने वाले सभी लोगों की आंखों में आंसू थे। हज़रत अली ने आंखें खोलीं और कहा कि कल तक मैं तुम्हारा साथी था, आज मेरी स्थिति तुम्हारे लिए एक पाठ है और कल मैं तुमसे जुदा हो जाऊंगा। अंतिम समय में उनके लिए कूफ़े के बच्चे जो दूध लेकर आए थे, उसका एक प्याला उन्हें दिया गया। उन्होंने थोड़ा सा दूध पिया और कहा कि बाक़ी दूध उस बंदी को दे दिया जाए जिसने उनके सिर पर वार किया था। हज़रत अली अलैहिस्सलाम का अंतिम समय निकट आ चुका था और उनकी संतान उन्हें अपने घेरे में लिए हुए थी, सभी की आंखों से आंसुओं की बरसात हो रही थी। उन्होंने अपनी अंतिम वसीयतें कीं और ज्येष्ठ पुत्र इमाम हसन अलैहिस्सलाम से कहा कि उन्हें कूफ़ा नगर से दूर किसी अज्ञात स्थान पर दफ़्न किया जाए।
    इतना सुनना था कि हज़रत अली के निकट मौजूद लोग संयम न रख सके और सभी के रोने की आवाज़ें गूंजने लगीं। उन्होंने इमाम हसन से अपनी बात जारी रखते हुए कहा कि हे मेरे बेटे मेरे बाद अपने बहन भाइयों का ध्यान रखना और संयम से काम लेना। इसके बाद उन्होंने जो अंतिम वाक्य कहे उनमें ईश्वर के अनन्य होने और हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम के अंतिम पैग़म्बर होने की गवाही दी। इसके बाद संसार में न्याय व मानवताप्रेम का सबसे बड़ा प्रतीक अपने बच्चों को रोता बिलकता छोड़ कर अपने रचयिता से जा मिला। शहादत के समय हज़रत अली अलैहिस्सलाम की आयु तिरसठ वर्ष थी और उन्हें कूफ़े के निकट नजफ़ नामक नगर में दफ़्न किया गया।

    • Blogger Comments
    • Facebook Comments

    0 comments:

    एक टिप्पणी भेजें

    हमारा जौनपुर में आपके सुझाव का स्वागत है | सुझाव दे के अपने वतन जौनपुर को विश्वपटल पे उसका सही स्थान दिलाने में हमारी मदद करें |
    संचालक
    एस एम् मासूम

    Item Reviewed: हजरत इम्बे अली तालिब की शहादत पर जुलूस निकला। Rating: 5 Reviewed By: S.M.Masoom
    Scroll to Top